पीएमओ का नाम लेकर पीएम के आसपास के लोग करते हैं करप्शन: मलिक
मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीनकर उसे केंद्रशासित प्रदेश बना देना गलत है और उसे तुरंत राज्य का दर्जा लौटाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पीएम मस्त हैं, बाकी भाड़ में जाए।’ उन्होंने दावा किया कि अगस्त 2020 में उन्हें गोवा से हटाकर मेघालय भेजा ही इसीलिए गया था क्योंकि उन्होंने पीएम मोदी को भ्रष्टाचार के कई मामलों को प्रदेश सरकार की तरफ से नजरअंदाज किए जाने की बातें बताई थीं। मलिक का दावा है कि पीएम के ईर्द-गिर्द के लोग ही भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और वो अक्सर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम लेकर करप्शन करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं सेफली (बिल्कुल बचते हुए) कह रहा हूं कि प्राइम मिनिस्टर को करप्शन से बहुत नफरत नहीं है।’
‘मोदी और डोभाल ने पुलवामा हमले पर चुप रहने को कहा था’
मलिक ने यह सनसनीखेज दावा भी किया कि फरवरी 2019 में पुलवामा में जो आतंकी हमला हुआ था, उसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय की बहुत बड़ी गलती थी। सत्यपाल मलिक इस हमले के दौरान जम्मू-कश्मीर के ही राज्यपाल थे। इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पूर्व राज्यपाल का आरोप है कि पुलवामा हमला खासकर सीआरपीएफ और गृह मंत्रालय की अक्षमता और लापरवाही का नतीजा था। ध्यान रहे कि पुलवामा हमले के वक्त राजनाथ सिंह केंद्र सरकार के गृह मंत्री थे। मलिक ने दावा किया कि सीआरपीएफ ने अपने जवानों के लिए विमान मांगा था, लेकिन गृह मंत्रालय ने देने से इनकार कर दिया। उसके बाद सीआरपीएफ ने जिस जिस सड़क से जवानों को भेजा, पहले वहां की अच्छे से पड़ताल नहीं की।
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक का दावा है कि पुलवामा हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे फोन पर बात की थी और इस मामले पर किसी से ज्यादा नहीं बोलने की हिदायत दी थी। द वायर को दिए इंटरव्यू में मलिक ने यह भी कहा कि उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने भी उनसे पुलवामा हमले पर चुपचाप रहने को कहा था। मलिक का आरोप है कि इसका मकसद चुनावों में सरकार और बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए पुलवामा हमले का सारा ठीकरा पाकिस्तान पर फोड़ना था, मुझे बाद में यह अहसास हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से 300 किलो आरडीएक्स लेकर गाड़ी जम्मू-कश्मीर के गांवों में 10-15 दिन घूमती रही और किसी को पता ही नहीं चला। यह खुफिया विभाग की बड़ी नाकामयाबी है।
महबूबा का प्रस्ताव क्यों ठुकराया था, मलिक ने बताया
मलिक ने महबूबा मुफ्ती पर भी झूठ बोलने का आरोप लगाया। महबूबा ने बीजेपी से गठबंधन टूटने पर नवंबर 2018 में नई सरकार गठन के गठन का दावा किया था। लेकिन बतौर राज्यापल ने उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था। उन्होंने ऐसा क्यों किया? इस सवाल पर मलिक ने कहा कि एक तरफ महबूबा ने नैशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के समर्थन का दावा किया था तो दूसरी तरफ एनसी ने उनसे (राज्यपाल से) विधानसभा भंग करने की मांग कर डाली क्योंकि पार्टी को विधायकों की खरीद-फरोख्त का डर था।
राम माधव पर गंभीर आरोप
मलिक ने बीजेपी नेता राम माधव पर भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि माधव ने एक पनबिजली योजना और रिलायंस इंश्योरेंस स्कीम की मंजूरी के लिए उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने (मलिक ने) साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं गलत काम नहीं करूंगा।’ राम माधव ने मलिक के इस दावे को झूठा बताते हुए मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की बात कही है।