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gas prices during manmohan singh, गैस के दाम: मुकेश अंबानी की रिलायंस पर मेहरबान थी मनमोहन सरकार! नई किताब के हवाले से BJP का दावा – gas cylinder price manmohan singh govt favoured mukesh ambani reliance claims bjp after km chandrasekhar book


नई दिल्‍ली: यूपीए सरकार में गैस की कीमतें तय करने का फॉर्म्‍युला मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्‍ट्रीज (RIL) को फायदा पहुंचाता था। बीजेपी ने पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की नई किताब के आधार पर यह दावा किया है। शनिवार को बीजेपी ने किताब के अंश साझा करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। चंद्रशेखर ने अपनी किताब As Good As My Word: A Memoir में मनमोहन सिंह सरकार के कई फैसलों पर लिखा है। इनमें गैस की कीमतें तय करने से जुड़ा फैसला भी शामिल है जिसमें कथित रूप से रिलायंस को ‘फेवर’ किया गया। अपनी किताब में चंद्रशेखर लिखते हैं, ‘कीमतें तय करने की प्रक्रिया में कई चीजें गड़बड़ थीं। मुकेश ने गैस प्राइसिंग का ऐसा फॉर्म्‍युला सामने रखा जिससे उस वक्‍त कच्चे तेल के रेट के हिसाब से गैस की कीमत 4.5 डॉलर प्रति यूनिट से ज्‍यादा हो जा रही थी। उसी वक्‍त अनिल अंबानी एक समझौते को ‘फ्लॉन्‍ट’ कर रहे थे जिसके तहत मुकेश अपने छोटे भाई के पावर प्‍लांट्स को 2.3 MMBTU की दर से गैस सप्‍लाई करने को राजी हुए।’ चंद्रशेखर ने लिखा कि ‘2.3 डॉलर प्रति यूनिट का रेट सरकारी NTPC के एक टेंडर के आधार पर तय किया गया था लेकिन RIL बाद में डील से मुकर गई। मामला अदालत तक गया लेकिन केस मजबूती से नहीं लड़ा गया।’

चंद्रशेखर सचिवों की उस समिति के प्रमुख थे जो प्राइसिंग का मसला देखती थी। उनकी राय थी कि RIL जो कीमत मांग रही थी, वह ‘काफी ज्‍यादा’ थी। यह कीमत रिलायंस के तय किए फॉम्‍युले के आधार पर तय की गई थी, जो क्रूड ऑयल के दाम से जुड़ा था। चंद्रशेखर के मुताबिक, सूर्य सेठी (उस वक्‍त योजना आयोग में सलाहकार) की दलील थी कि ऐसा जुड़ाव अनूठा, अभूतपूर्व था।

बीजेपी ने किताब के हवाले से कांग्रेस पर बोला हमला
बीजेपी ने चंद्रशेखर के दावों को लपक लिया है। पार्टी की आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘सवाल यह है कि रिलायंस जैसी एक निजी फर्म कांग्रेस-नीत यूपीए को कैसे अपने इशारों पर नचा रही थी? राहुल गांधी के अंबानी?’

अपनी किताब में चंद्रशेखर ने कहा कि ‘कॉस्‍ट-प्‍लस फॉर्म्‍युला इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए और कीमत तय करने में सीएजी को भी शामिल होना चाहिए। जब रिलायंस 2.3 डॉलर की दर से गैस बेचने पर राजी हुई थी तो मुझे चार डॉलर से ज्‍यादा के दाम का कोई तुक समझ में नहीं आता।’

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