Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>


असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा बीजेपी में हिंदुत्व के नए पोस्टर बॉय बनकर उभर रहे हैं। गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए जब बीजेपी रणनीति बना रही थी तो उसने तमाम नेताओं को वहां जाकर प्रचार करने की जिम्मेदारी दी। गुजरात या हिंदी प्रदेशों में इस काम के लिए अब तक उत्तर-पूर्व के नेताओं को कम ही लगाया जाता था। लेकिन पार्टी के लिए बड़ी हैरानी की बात रही कि चुनाव प्रचार में हिमंता की डिमांड खुद गुजरात से आई। और फिर जब हिमंता ने वहां पहुंचकर प्रचार सभाएं करनी शुरू कीं तो उनकी सभाओं में पार्टी वर्करों का भी रेस्पॉन्स अच्छा रहा। इसके बाद उनकी रैलियों की संख्या भी बढ़ी। हालांकि उनके कुछ भाषणों पर विवाद भी हुआ, लेकिन पार्टी में जिस तरह से उनकी पूछ बढ़ रही है, वह चर्चा का विषय बनी हुई है। और बात सिर्फ गुजरात की ही नहीं, पिछले दिनों उन्होंने बिहार के एक लोकपर्व पर मैथिली भाषा में ट्वीट किया। उनके उस ट्वीट पर बिहार में भी खूब चर्चा हुई। माना जा रहा है कि हिमंता 2024 आम चुनाव में बीजेपी के लिए एक अहम प्रचारक हो सकते हैं और वह पार्टी की अगली पीढ़ी के महत्वपूर्ण नेता के रूप में भी स्थापित हो रहे हैं। यही वजह है कि इन दिनों वह अपनी हिंदी और मजबूत करने में लगे हुए हैं, ताकि वह सीधे इस इलाके की जनता की भावनाओं को छू सकें।

​मनाने में खुद जुटे मोदी

चुनाव में ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी ताकत से लड़ने का मैनेजमेंट हाल के सालों में बीजेपी की सफलता का बड़ा कारण रहा है। हिमाचल प्रदेश में चुनाव से पहले एक बागी नेता को खुद पीएम मोदी की ओर से फोन किए जाने का ऑडियो वायरल हुआ था। भले विपक्ष ने इस पर सवाल उठाए, लेकिन पार्टी नेताओं के अनुसार इसका असर सकारात्मक हुआ और संदेश गया कि जब खुद पीएम मोदी हर नेता से इस तरह से संपर्क बना रहे हैं, तो बाकी को भी उसी गंभीरता से लगना होगा। गुजरात विधानसभा चुनाव में भी बागी और नाराज नेताओं को मनाने में खुद पीएम मोदी लगे। पिछले दिनों सूरत में लंबा रोड शो करने के बाद वहां कुछ घंटे के लिए रुके और आसपास के सभी नाराज नेताओं से खुद एक-एक कर बात की और उन्हें मनाया। इससे पार्टी के अंदर नए सिरे से उत्साह आया।

​तूफान से पहले की शांति

इससे पहले कि राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा प्रवेश करती, कांग्रेस ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच युद्ध विराम कराने में सफलता पा ली। दोनों की एक साथ तस्वीर भी पेश की गई, जिसमें बीच में केसी वेणुगोपाल दोनों में युद्ध विराम होने की घोषणा कराने के अंदाज में खड़े हैं। यात्रा से पहले वेणुगोपाल तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे, मगर माना जाता है कि तैयारी तो यही होनी थी कि पायलट और गहलोत के बीच खटपट बंद हो। तीन घंटे तक मीटिंग चली और आखिरकार यात्रा और राहुल गांधी के लिए एक राहत भरी खबर आई। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। दोनों नेताओं के करीबी बता रहे हैं कि यह तो तूफान से बस पहले की ही शांति है। हालांकि दोनों नेताओं ने इस भरोसे और वादे के साथ युद्ध विराम पर सहमति जताई कि राजस्थान से भारत जोड़ो यात्रा धूमधाम से निकल जाए, फिर हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे भी आ जाएं, उसके बाद प्रदेश नेतृत्व पर कोई निर्णायक फैसला लिया जाएगा। दोनों पक्ष अब इससे जुड़े फैसले में किसी तरह की देरी को और लंबे समय तक बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। गहलोत और पायलट के करीबी नेता बताते हैं कि आलाकमान को साफ बता दिया जाएगा कि अब तो दो टूक फैसला लेना ही होग। जाहिर है कि भारत जोड़ो यात्रा और चुनाव परिणाम के बाद ही पार्टी के नए प्रेसिडेंट खरगे के लिए पहली बड़ी परीक्षा इंतजार कर रही है।

​दिसंबर में विपक्षी एकता

पिछले दिनों शिवसेना ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे पटना गए। वहां उन्होंने तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार से मुलाकात की। मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब दोनों पक्षों ने मीटिंग को सामान्य बताया और कहा कि विपक्ष को मजबूत करने पर चर्चा की। लेकिन विपक्षी खेमे से जिस तरह की चर्चाएं सामने आ रही हैं, उनके अनुसार हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी एकता के लिए पहल नए सिरे से तेज होगी। बता रहे हैं कि इसके लिए एक बड़ी मीटिंग भी हो सकती है, जिसमें नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और उद्धव ठाकरे अहम भूमिका निभा सकते हैं। माना जा रहा है कि आदित्य ठाकरे इसी मीटिंग से पहले की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पटना पहुंचे थे। वहीं नीतीश के करीबी कह रहे हैं कि इस मीटिंग के लिए हेमंत सोरेन, उत्तर पूर्व के विपक्षी नेताओं सहित कई दूसरे नेताओं से भी लगातार संपर्क साधा जा रहा है। नीतीश कुमार ने अपने एक करीबी नेता को उत्तर प्रदेश में भी मायावती और अखिलेश यादव के बीच 2024 से पहले संपर्क और सुलह स्थापित कराने की जिम्मेदारी दी है। माना जा रहा है कि 8 दिसंबर के बाद इस पहल में तेजी देखी जा सकती है।

​चाय पर क्या चर्चा हुई

पश्चिम बंगाल में चाय पर हुई एक चर्चा को लेकर अटकलों का बाजार गरम है। राज्य की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी की बीजेपी नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी से बीते हफ्ते चाय पर मुलाकात हुई। इस मीटिंग में बहुत कम लोग थे। तब से इसे लेकर बीजेपी के अंदर भी बेचैनी देखी जा रही है। राज्य विधानसभा चुनाव में शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को हराया था। हालांकि कभी वह ममता के बेहद करीबी माने जाते थे और चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। तब से वह राज्य में बीजेपी के चेहरा बन कर उभरे हैं। चुनाव में टीएमसी की जीत के बाद कई बीजेपी नेता टीएमसी में पहले ही शामिल हो चुके हैं। हालांकि दोनों पक्षों ने मीटिंग को सामान्य शिष्टाचार बताया और तर्क दिया कि हर विधानसभा सत्र में चाय पर ऐसी चर्चा होती रही है जिसमें पक्ष और विपक्ष दोनों के लोग रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से ममता और शुभेंदु के बीच जिस तरह की तल्खी सामने आई थी, अब उसमें नरमी पड़ती दिख रही है। अब चाय पर हुई यह चर्चा आगे किस ओर मुड़ेगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। बहरहाल इससे चिंतित बीजेपी 2024 आम चुनाव से पहले राज्य में पार्टी के सबसे मजबूत चेहरे को बचाकर रखने की कोशिश में अभी से जुट गई और शीर्ष नेतृत्व ने शुभेंदु से विस्तार में बात की। बीजेपी को पता है कि अगर उन्होंने भी घर वापसी की, तो पार्टी गंभीर मुसीबत में पड़ सकती है।



Source link

By admin