पड़ोसी गांव में चुनावी शोर तो साजनपुर में सन्नाटा
एक ओर जहां तिमला में चुनावी पारा पूरे जोरों पर है। तो वहीं दूसरी ओर उसके पड़ोसी गांव साजनपुर में हैरान कर देने वाला सन्नाटा दिखाई दे रहा है। गांव के बरगद के पेड़ के नीचे न कोई बैनर लगा है और न किसी तरह का प्रचार या फिर चुनावी गपशप देखने को मिल रही है। इसके पीछे की वजह महज इतनी कि यह भौगोलिक रूप से तो गुजरात में है। लेकिन प्रशासनिक तौर पर मध्य प्रदेश से जुड़ा है। करीब ढाई वर्ग किलोमीटर में फैले इस गांव में हमेशा की तरह कारोबार होता है। लगभग 1,200 लोगों की आबादी वाले साजनपुर गांव के लोगों का दिल अपने मूल राज्य के लिए धड़कता है।
पूर्व सरपंच गमजी हीरालिया ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया ‘साजनपुर एक अनोखा गांव है जो भौगोलिक रूप से गुजरात से घिरा हुआ है। लेकिन प्रशासनिक रूप से यह एमपी के अधीन है। इसलिए गुजरात के राजनेता शायद ही कभी हमारे गांव आते हैं, यहां तक कि चुनाव के दौरान भी नहीं। आस-पास के गांवों को उत्सुकता से अभियानों को देखने के लिए।
मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले में है साजनपुर
साजनपुर मप्र के अलीराजपुर जिले के अंतर्गत आता है। यह गांव मप्र की सीमा से लगभग 3 किमी दूर स्थित है। साजनपुर में अधिकांश साइनबोर्ड हिंदी भाषा में हैं। 50 वर्षीय किसान गमजी ने कहा ‘हमें अपने राज्य तक पहुंचने के लिए गुजरात के गांवों से गुजरना पड़ता है।’ साजनपुर के 24 वर्षीय खेत मजदूर विक्रम राठवा ने कहा, “हम घर पर कुछ गुजराती बोलते हैं। जबकि प्रशासनिक काम के लिए हमें हिंदी भी सीखनी पड़ती है।
राठवा ने कहा ‘जब मप्र में चुनाव होते हैं तो हमारा एकमात्र गांव गुजरात में प्रचार करता है।उन्होंने कहा कि ‘साजनपुर के निवासियों को फिर से एमपी सरकार से कोई शिकायत नहीं है और उस राज्य से अलग होने के बावजूद उनकी अच्छी तरह से देखभाल की जाती है। वहीं दादरा एक और ऐसा गांव है जो लगभग चार वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह गुजरात के डूंगरा और लवाछा गांवों के बीच बसा है। लेकिन दादरा और नगर हवेली के केंद्र शासित प्रदेश के प्रति निष्ठा रखता है। जहां आस-पास के गांवों में चुनावी बयार बह रही है। तो वहीं दादरा और नगर हवेली में ऐसा नहीं दिखता है।