नई दिल्ली : देश में करीब 51 प्रतिशत बच्चे गरीबी और जलवायु आपदा के दोहरे प्रभावों में जी रहे हैं। यह बात एक स्टडी में कही गई है। ‘जनरेशन होप: वैश्विक जलवायु और असमानता संकट समाप्त करने के 2.4 अरब कारण’ नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे एशिया में लगभग 35 करोड़ बच्चे गरीबी और जलवायु आपदा दोनों की चपेट में हैं। इनमें भारत के 22.20 करोड़ बच्चे शामिल हैं। गरीबी और जलवायु आपदा के इस ‘दोहरे खतरे’ का सामना करने वाले बच्चों की कुल संख्या के मामले में भारत का नाम विश्व स्तर पर सबसे ऊपर है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 35.19 करोड़ बच्चों के साल में कम से कम एक चरम जलवायु घटना से प्रभावित होने का अनुमान है, उनमें से कुछ को विशेष जोखिम है, क्योंकि वे गरीबी में रह रहे हैं और इसलिए उनके पास खुद को बचाने और ठीक होने के लिए कम संसाधन हैं। इसमें कहा गया है कि विश्व स्तर पर 77.40 करोड़ बच्चे इस हाई रिस्क वाले ग्रुप में आते हैं और हाई इनकम वाले देश भी इस ‘दोहरे खतरे’ से अछूते नहीं हैं।
12.10 करोड़ बच्चे उच्च आय वाले देशों में रहते हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु आपदा और गरीबी दोनों का सामना कर रहे 12.10 करोड़ बच्चे उच्च आय वाले देशों में रहते हैं और इनमें 10 में से चार (1.23 करोड़) बच्चे अमेरिका या ब्रिटेन में रहते हैं।