Sindhu Dhara

समाज की पहचान # सिंध की उत्पति एवं इतिहास<> सिंधी भाषा का ज्ञान <> प्रेणादायक,ज्ञानवर्धक,मनोरंजक कहानिया/ प्रसंग (on youtube channel)<>  सिंधी समाज के लिए,वैवाहिक सेवाएँ <> सिंधी समाज के समाचार और हलचल <>
नाबालिग गर्भवती है तो गर्भपात के लिए डॉक्टर को उसकी पहचान करने की जरूरत नहीं


नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतहासिक फैसले में 24 हफ्ते तक की प्रिगनेंसी टर्मिनेट करने का आदेश देते हुए कहा है कि अगर कोई नाबालिग बच्ची की प्रिगनेंसी है तो उसे टर्मिनेट किया जा सकता है। नाबालिग की सहमति से भी संबंध पोक्सो और आईपीसी के तहत रेप के दायरे में है। ऐसे में एमटीपी एक्ट के रूल्स 3 बी के तहत ऐेसे प्रिगनेंसी को टर्मिनेट किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही है कि अगर कोई नाबालिग गर्भवती है तो ऐसे मामले की प्रिगनेंसी टर्मिनेशन के लिए वह अगर डॉक्टर के पास गई है है तो डॉक्टर को पुलिस के सामने नाबालिग लड़की की पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन पहले दिया था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए अपने आदेश में विवाहित और अविवाहित सभी महिलाओं को 24 हफ्ते तक नियम के तहत गर्भ का सेफ टर्मिनेशन की इजाजत दे दी थी साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एमटीपी एक्ट के तहत मेरिटल रेप मामले में भी प्रिगनेंसी टर्मिनेशन की इजाजत दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा है कि एमटीपी एक्ट और पोक्सो एक्ट को साथ में देखने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने अच्छा किया अब संसद की बारी, मैरिटल रेप और तलाक के मामलों में बदलाव की क्यों है जरूरत
18 साल से कम उम्र की लड़की को गर्भपात की इजाजत
इस तरह से 18 साल से कम उम्र की कोई लड़की है तो उसकी प्रिगनेंसी टर्मिनेट की इजाजत होगी। बेंच ने कहा है कि पोक्सो एक्ट जेंडर न्यूट्रल है और 18 साल से कम उम्र के नाबालिग के साथ सेक्सुअल ऑफेंस में सजा का प्रावधान है। 18 साल से कम उम्र के बच्चे की सहमति के कोई मायने नहीं है। ऐसे बच्चों की सहमति से भी संबंध रेप और पोक्सो के तहत अपराध है।



Source link

By admin