इस पार्टी पर कोर्ट की तीखी टिप्पणी
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ मध्य प्रदेश जन विकास पार्टी की ओर से हाई कोर्ट के पिछले साल दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर विचार कर रही थी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि जिस दल को चुनाव प्रक्रिया के तहत मतदाताओं से मान्यता नहीं मिली है, वह याचिकाएं दायर करके मान्यता लेना चाहता है।’
पीठ ने कहा कि ईवीएम लंबे समय से इस्तेमाल में है, लेकिन समय-समय पर मुद्दों को उठाने की मांग की जाती रही है। याचिकाकर्ता दल की ओर से पेश वकील ने संविधान के अनुच्छेद 324 का हवाला दिया, जिसके तहत चुनावों के संचालन, निर्देशन और नियंत्रण से संबंधित दायित्व चुनाव आयोग में निहित होता है।
EVM पर कंपनियों का नियंत्रण…
याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि यद्यपि अनुच्छेद 324 कहता है कि सब कुछ चुनाव आयोग द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, लेकिन ईवीएम को कुछ कंपनियों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘क्या आप जानते हैं कि पूरे देश में संसदीय चुनावों में कितने लोग मतदान करते हैं? यह एक बड़ी कवायद है।’
कोर्ट बोला, आप चाहते हैं…
शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता चाहता है कि न्यायालय इस प्रक्रिया की निगरानी करे कि किस तरीके से ईवीएम का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता केवल यह चाहता है कि इस प्रक्रिया में कुछ अंकुश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता चाहता है कि अनुच्छेद 324 का क्रियान्वयन सच्ची भावना से किया जाए और सब कुछ आयोग द्वारा नियंत्रित होना चाहिए, न कि किसी कंपनी द्वारा।
वकील ने कहा कि वह केवल एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया चाहते हैं। याचिका खारिज करने से पहले पीठ ने कहा, ‘यह ऐसी जगह नहीं है जहां हर कोई सिर्फ कुछ प्रचार पाने के लिए आता है।’