केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 16 सिंतबर को एक स्पेशल कार्गो फ्लाइट से चीते नामीबिया से निकलेंगे, जो 17 को जयपुर पहुंचेंगे। उसी दिन एक हेलिकॉप्टर के जरिए इन चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में लाया जाएगा। इसके लिए कूनो में खास तौर एक हेलिपेड बनाया गया है। पीएम मोदी इन चीतों को देश को सौंपेंगे। इस दल में कुल आठ चीते आ रहे हैं, जिनमें पांच मादा और तीन नर हैं। इन्हें लाने के लिए गत रविवार को भारत की ओर से बाकायदा एक टीम नामीबिया के लिए रवाना हो गई है। मंत्रालय के वन्यजीव विभाग के अडिशनल डीजी डॉ. एस पी यादव का कहना था कि वैसे तो इन्हें कार्गों में रखकर भी लाया जा सकता था, लेकिन पीएम मोदी मानना था कि इन खास मेहमानों को यात्रा में कोई तकलीफ न हो, इसलिए स्पेशल प्लेन से लाया जा रहा है।
तीस दिन तक क्वारंटीन रहेंगे भारत आ रहे मेहमान
विदेशी मेहमानों के लिए की गई तैयारी इन चीतों को लेकर कूनो नेशनल पार्क में तैयारी पूरी हो चुकी है। चीतों के आने के बाद उन्हें एक बाड़े में रखकर तीस दिनों तक क्वारंटीन किया जाएगा।
इस दौरान उनके व्यवहार, सेहत व अनुकूलन पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी कि वे यहां के माहौल में खुद को कैसे ढालते हैं। एक महीने बाद इन चीतों को एक वर्ग किलोमीटर में बने बाड़े में छोड़ा जाएगा। उसके बाद लगभग एक से डेढ़ महीने बाद तीसरे चरण में उन्हें कूनो में खुला घूमने के लिए छोड़ दिया जाएगा। उनका कहना था कि चीतों के रख-रखाव, स्वास्थय, भोजन व उनके अनूकूल को लेकर सभी अंतराष्ट्रीय मानकों का पालन किया जा रहा है।
विदेशी मेहमानों को देखते हुए उस इलाके के सभी कुत्तों का वैक्सीनेशन कर दिया गया है। ताकि उनके लिए किसी तरह की सेहत से जुड़ी कोई चुनौती न पेश आ सके। कूनो का मौजूदा एरिया 748 वर्ग किमी के इलाके में है। इसके लिए सरकार ने जहां 25 गांव खाली कराए हैं। इनमे से 24 गांवों के पूरी तरह से खालीकर वहां रहने वालों का पुर्नवसन कर दिया गया है। जबकि पार्क की सीमा पर बसे एक गांव को पुनर्वसन काम चल रहा है। सरकार की ओर से आसपास के गांव में रहने वाले लोगों को न सिर्फ जानकारी दी जा रही है, बल्कि उन्हें कौशल ट्रेनिंग भी दी गई है।
इंसानी बस्ती में चीता दिखने पर यह करें
इन लोगों को बताया गया है कि आमतौर पर चीतों का इंसानों के साथ कोई टकराव नहीं होता, लेकिन अगर कोई चीता इंसानी बस्ती के आसपास दिख जाए तो तुरंत इसकी जानकारी वन विभाग को देनी है। वहीं अगर किसी के पशु को चीते की वजह से नुकसान होता है या वो उनका आहार बनता है तो उसे सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। चीतों को भारत भेजने से पहले नामीबिया व दक्षिण अफ्रीका के वन्य जीव विशेषज्ञों का टीम बाकायदा भारत आकर कूनो को एक से अधिक बार दौरा कर यहां की तैयारियों पर संतुष्टि जता चुकी हैं। वहीं भूपेंद्र यादव का कहना होगा कि नामीबिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका के साथ भी चीतों को लेकर जल्द समझौता होने वाला है। अगले पांच साल तक प्रोजेक्ट चीता के तहत चीतों का आगमन भारत में जारी रहेगा। इस पंच वर्षीय योजना के लिए 91 करोड़ का बजट रख गया है, जिसमें इंडियन ऑयल आर्थिक सहयोग दे रहा है।