Ambergris ठोस, मोम जैसा ज्वलनशील तत्व होता है। यह हल्के ग्रे या काले रंग का होता है। स्पर्म वेल की आंतों में यह पाया जाता है। पानी के अंदर व्हेल मछलियां ऐसे कई जीव खाती हैं जिनकी नुकीली चोंच और शेल्स होती हैं। इन्हें खाने पर व्हेल के अंदर के हिस्से को चोट ना पहुंचे इसके लिए Ambergris अहम होता है। इसे निकालने के लिए कई बार तस्कर व्हेल की जान ले लेते हैं जो पहले से विलुप्तप्राय जीवों में शामिल है।
इसका इस्तेमाल परफ्यूम इंडस्ट्री में किया जाता है। इसमें मौजूद ऐल्कोहॉल का इस्तेमाल महंगे ब्रैंड परफ्यूम बनाने में करते हैं। इसकी मदद से परफ्यूम की गंध लंबे वक्त तक बरकरार रखी जा सकती है। इस वजह से इसकी कीमत बेहद ज्यादा होती है। यहां तक कि वैज्ञानिकों ने इसे तैरता हुआ सोना भी कहा है। बीते कुछ साल में यमन और थाइलैंड में भी मछुआरों के हाथ यह समुद्री खजाना लगा है।
इस बात को लेकर अभी स्टडी की जा रही हैं कि यह वाकई व्हेल की उल्टी होती है, जैसा कि इसे नाम दिया गया है या फिर उसका मल। इसे Ambergris इसलिए कहते हैं क्योंकि यह amber जैसा दिखता है जो बाल्टिक में तट पर बहकर आया हो। Gris का मतलब लैटिन में ग्रे होता है। सूरज और पानी के संपर्क में कई साल तक आने के बाद यह ग्रे, चट्टानी पत्थर में तब्दील हो जाता है। जो Ambergris ताजा होता है, उसकी गंध मल जैसी ही होती है लेकिन फिर धीरे-धीरे मिट्टी जैसी होने लगती है।
बाजार में इसकी कीमत सोने और हीरे से भी अधिक है। मुंबई पुलिस ने पिछले साल आंकलन करते हुए एक किलो एम्बरग्रीस की कीमत एक करोड़ बताई थी। दुनिया के कई हिस्सों में इसकी तस्करी भी जाती है। भारत में भी एक किलो वेल वॉमिट की कीमत करोड़ों में है। अभी दो महीने पहले ही केरल में मछुआरों के एक समूह के हाथ यह खजाना लगा था। उन्होंने अधिकारियों को सौंप दिया, जिसकी कीमत 28 करोड़ रुपये तक आंकी गई।