घातक सड़क हादसों में भारत टॉप पर
सेवलाइव फाउंडेशन के आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्ष 2021 में भारत प्रति 1,000 सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में सबसे आगे है। तकनीकी भाषा में इसे रोड क्रैश सिवयरिटी कहा जाता है जो भारत में 38.6 है। यानी भारत में अगर 1,000 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं तो औसतन 38.6 लोग मारे जाते हैं। यह दर 2021 की थी जो एक वर्ष पहले 2020 में 37.5 से ज्यादा है।
साल 2016 के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, भारत दुनिया के उन 20 देशों की लिस्ट में टॉप पर है जहां रोड क्रैश सिवियरिटी सबसे ज्यादा है। इस मामले में भारत 31.7 पहले जबकि चीन 29.4 के साथ दूसरे नंबर पर है।
2021 में 4 लाख से ज्यादा सड़क हादसे
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021 में देश ने सड़क हादसों के 4,03,116 मामले देखे जो वर्ष 2020 में 3,54,796 मामलों से ज्यादा हैं। इस दौरान रोड एक्सिडेंट्स में मौतों की संख्या में भी 16.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। 2020 में सड़क हादसों में 1,33,201 लोगों ने जान गंवाई थी। 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 1,55,622 हो गया।
सड़क हादसों में हुई मौतों का राज्यवार आंकड़ा
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें हुईं। उसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र के नंबर आते हैं। वर्ष 2021 में देश में सड़क हादसों से हुईं कुल मौतों में इन तीन राज्यों की हिस्सेदारी क्रमशः 14 प्रतिशत, 9.88 प्रतिशत और 8.94 प्रतिशत है।
आम तौर पर सड़क हादसों में मरने वालों से ज्यादा तादाद घायलों की होती है। हालांकि, मिजोरम, पंजाब, झारखंड और उत्तर प्रदेश में यह मामला उलटा है। यानी, इन राज्यों में हुए सड़क हादसों में कम संख्या में लोग घायल हुए जबकि मौतों की संख्या ज्यादा रही। मिजोरम में 64 रोड एक्सिडेंट्स हुए और इतनी ही मौतें हुईं जबकि 28 लोग जख्मी हुए। पंजाब में 6,097 सड़के हादसों में 4,516 मौतें हुईं जबकि 3,034 लोग जख्मी हुए। झारखंड में 4,728 रोड एक्सिडेंट्स हुए जिनमें 3,513 मौतें हुईं जबकि 3,227 घायल हुए। वहीं, उत्तर प्रदेश में कुल 33,711 सड़क दुर्घटनाओं में 21,792 लोगों का अकाल मृत्यु हो गई जबकि 21,792 लोग घायल हुए।
2021 में दोपहिया वाहनों के हादसों में सबसे ज्यादा 69,240 मौतें हुईं। उसके बाद कार हादसों में 23,531 जबकि ट्रकों और लॉरियों के हादसों में 14,622 जानें गईं। इस तरह, सड़क हादसों में हुईं कुल मौतों में बाइकों की हिस्सेदारी 44.5 प्रतिशत, कारों की 15.1 प्रतिशत जबकि ट्रकों/लॉरियों की 9.4 प्रतिशत रही।
दोपहिया वाहनों से सबसे ज्यादा 8,259 मौतें तमिलनाडु में जबकि 7,429 मौतें उत्तर प्रदेश में रहीं। एसयूवी/कार/जीप एक्सिडेंट में सबसे ज्यादा 4,039 मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं। वहीं, ट्रकों/लॉरियों/मिनी ट्रकों के हादसों में सबसे ज्यादा 3,423 मौतें मध्य प्रदेश में हुईं। वहीं, वहीं बस हादसों में सबसे ज्यादा 1,337 मौतें उत्तर प्रदेश में हुईं जबकि 551 मौतों के साथ तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। बिहार 2,796 मौतों के साथ पैदल यात्रियों की मौतों के मामले में देश में अव्वल रहा।
महीने के लिहाज से जनवरी सबसे घातक साबित हुआ जब कुल 40,235 मौतें सड़क हादसों में हुईं। इस महीने सबसे ज्यादा 5,322 मौतें तमिलनाडु में हुईं।
ज्यादातर सड़क हादसे शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच
भारत में ज्यादातर सड़क हादसे शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होते हैं। 2021 में हुए कुल 4,03,116 हादसों में 81,410 हादसे इसी दरम्यान हुए जो कुल हादसों का 20.2 प्रतिशत है। शाम 3 बजे से 6 बजे के बीच कुल 71,711 यानी 17.8 प्रतिशत जबकि दोपहर 12 बजे से शाम 3 बजे के बीच 62,587 यानी 15.5 प्रतिशत सड़क हादसे हुए।
राष्ट्रीय राजमार्ग सबसे ज्यादा खतरनाक
राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) की लंबाई देश में कुल 63.9 लाख किलोमीटर सड़कों में सिर्फ 1.33 लाख यानी 2.1 प्रतिशत है, लेकिन सबसे ज्यादा 30.3 प्रतिशत हादसे इन्हीं पर होते हैं। स्टेट हाइवेज (SH) 1.87 लाख किलोमीटर यानी 2.9 प्रतिशत है जबकि 23.9 प्रतिशत हादसे इन्हीं सड़कों पर होते हैं। इस तरह देखें तो 45.8 प्रतिशत सड़क हादसे एनच या एसएच के सिवा अन्य सड़कों पर होते हैं। इनके अलावा, 1,899 हादसे एक्सप्रेसव पर हुए जिनममें 1,356 लोगों की मौत हुई जबकि 1,214 लोग घायल हुए।
एनएच सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतों के मामले में भी अव्वल है। कुल 53,615 यानी 34.5 प्रतिशत मौतें एनएच पर हुए हादसों में ही हुईं। उसके बाद स्टेट हाइवेज पर हुए हादसों में 39,040 यानी 25.1 प्रतिशत मौतें हुईं। वहीं, 62,967 यानी 40.5 प्रतिशत मौतें अन्य सड़कों पर हुए हादसों में हुईं।
एनएच पर हुए हादसों के राज्यवार ब्योरे की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 7,212 मौतें हुईं। वहीं, तमिलनाडु में 5,360 मौतें, महाराष्ट्र में 3,996 मौतें, राजस्थान में 3,653 मौतें जबकि आंध्र प्रदेश में 3,602 मौतें हुईं। इसी तरह, प्रादेशिक राजमार्गों (SH) पर हुए हादसों के मामलों में तमिलनाडु टॉप पर है। वहां के एसएच पर कुल 18,560 सड़क हादसे हुए। वहीं, मौतों की बात करें तो 5,891 मौतों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे जबकि 5,067 मौतों के साथ तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है। एक्सप्रेसवे की बात करें तो उत्तर प्रदेश में कुल 965 यानी 71.2 प्रतिशत मौतें हुईं। उसके बाद हरियाणा में 9.3 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.4 प्रतिशत, पंजाब में 3.2 प्रतिशत जबकि पश्चिम बंगाल में 3 प्रतिशत मौतें हुईं।
सड़क हादसों की सबसे बड़ी वजह बेकाबू रफ्तार
अगर सड़क हादसों के कारणों पर गौर करें तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा सड़क हादसे तेज रफ्तार के कारण होते हैं। 2021 में देशभर में हुए कुल 4,03,116 सड़क हादसों में 2,40,828 हादसों की वजह ओवर स्पीडिंग ही थी। इन हादसों में 87,050 मौतें हुईं जबकि 2,28,274 लोग घायल हो गए।
वहीं, खतरनाक तरीके से या लापरवाही से ड्राइविंग करने या ओवरटेकिंग के कारण 1,03,629 यानी कुल 25,7 प्रतिशत सड़क हादसे हुए। इन हादसों में 42,853 मौतें हुईं जबकि 91,893 लोग जख्मी हो गए। वहीं, 11,110 सड़क हादसे मौसम में खराबी के कारण हुए। 1.9 प्रतिशत सड़क हादसे नशे की हालत में ड्राइविंग के कारण हुए जिनमें 7,235 लोगों की जानें चली गईं जबकि 2,935 लोग घायल हो गए।
ज्यादा सड़क हादसे ग्रामीण इलाकों में
वर्ष 2021 का आंकड़े बताते हैं कि ज्यादा सड़क हादसे ग्रामीण इलाकों में होते हैं। पिछले वर्ष 2,40,747 यानी 59.7 प्रतिशत सड़क हादसे
वहीं हुए थे। वहीं, 1,62,369 यानी 40.3 प्रतिशत रोड एक्सिडेंट्स शहरी इलाकों में हुए थे। ग्रामीण और शहरी, दोनों ही इलाकों में ज्यादातर हादसे आवासीय इलाकों में हुए। शहरी इलाकों में 7.7 हादसे पैदल पार पथ (Pedestrian Crossings) पर हुए। देशभर में 8 प्रतिशत सड़क हादसे स्कूलों, कॉलेजें एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों के आसपास हुए।
दिल्ली की सड़कें सबसे ज्यादा जानलेवा
देश के 53 बड़े-बड़े शहरों में कुल 55,442 सड़क हादसे हुए जिनमें 5,034 की संख्या के साथ चेन्नै टॉप पर है। इस लिस्ट में 4,505 हादसों के साथ दिल्ली दूसरे जबकि 3,213 हादसों के साथ बेंगलुरु तीसरे स्थान पर है। लेकिन मौतों के मामले में दिल्ली 1,172 के आंकड़े के साथ शीर्ष पर है। वहीं, चेन्नै में 998 जबकि बेंगलुरु में 654 मौतें हुईं। इन 53 शहरों में सबसे ज्यादा 7,415 यानी 55.4 प्रतिशत सड़क हादसे ओवर स्पीडिंग की वजह से हुए। वहीं, सबसे ज्यादा 3,885 यानी 29 प्रतिशत मौतें खतरनाक तरीके से या लापरवाही से की गई ड्राइविंग या ओवरटेकिंग के कारण हुई।