राजनीति छोड़ने वाली बात
इस कार्यक्रम में भी गडकरी ने अपने उन बयानों को दोहराया जिस पर काफी कुछ अटकलें लगाई गईं। उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि मैं जयप्रकाश जी के आंदोलन से प्रेरित होकर राजनीति में आया। मैंने कहा कि स्वाधीनता से पहले राजनीति का मतलब देशभक्ति थी। स्वाधीनता के बाद राजनीति यानी विकास कार्य, देश के लिए काम करने की बात हुई। अब राजनीति ऐसी हो गई है कि इसका मतलब सत्ता है। हम राष्ट्र, समाज और विकास के लिए राजनीति करें, पावर पॉलिटिक्स न करें। मैंने कहा कि कभी-कभी ये देखकर ऐसा लगता है कि छोड़ देना चाहिए।
मैं किसी से नाराज नहीं…
गडकरी ने आगे मुस्कुराते हुए कहा कि मेरा ये कहना है कि जो मैंने बोला नहीं, जो मेरी मंशा नहीं, वो 6-6 कॉलम में छप रहा है। तुरंत एक्सपर्ट ओपिनियन लिया जा रहा है। ‘गडकरी नाराज है क्या, क्या उसके मन है…’ यह कहते हुए गडकरी खिलाखिलाकर हंस पड़े। उन्होंने कहा कि ये क्या है। आगे कहा कि मैं कोई नाराज नहीं हूं। मैं अपना काम करते रहता हूं। यही सवाल ऐंकर ने फिर से दोहराया, तो गडकरी जी क्या है इस सवाल का जवाब, क्या गडकरी जी नाराज हैं?
केंद्रीय मंत्री ने झट से जवाब दिया- बिल्कुल नहीं। मैं बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं। मैं जब बीजेपी का प्रेसिडेंट था तो मैंने कहा था कि हर एमपी को एक सेवा प्रकल्प, एक विकास प्रकल्प और एक स्वास्थ्य प्रकल्प…मैं 1200 एकल विद्यालय गढ़चिरौली जिले में चलाता हूं। वो मेरा निर्वाचन क्षेत्र नहीं है। मेरे सोशल प्रोजेक्ट का टर्नओवर हजार करोड़ के ऊपर है। मैंने वैंकुएर में एक गार्डन देखा हूं, वैसा गार्डन अपने यहां बना रहा हूं। मैं अपने काम से खुश हूं, मेरी किसी से कोई तकरार नहीं।