आटे का भाव किलो नहीं लीटर में बता गए राहुल
कांग्रेस की महंगाई के खिलाफ हल्ला बोल रैली जारी थी। राहुल मोदी सरकार के खिलाफ खूब बोल रहे थे। 2014 में पेट्रोल प्राइस, गैस की कीमत, दूध के भाव कितने थे राहुल इसपर लोगों को जानकार बना रहे थे। राहुल ने कहा कि 2014 में एलपीजी गैस सिलिंडर की कीमत 410 रूपये थी जो 2022 में 1050 रूपये है, पेट्रोल और डीजल 2014 में 70 और 55 रुपये लीटर था जो आज 100 और 90 रूपये लीटर है। दूध 35 रूपये लीटर था जो आज 60 रूपये लीटर लहो गया है। इसी बीच राहुल ने कहा कि आटा 2014 में 22रुपये लीटर था जो आज 40 रूपये लीटर था। आटे की रोटी खाने वाले को भी पता है कि आटा लीटर नहीं किलो के भाव में आता है लेकिन राहुल के मुंह से निकल गया। मुंह से निकला शब्द और धनुष से निकला बाण कभी वापस नहीं आता। राहुल को जब एहसास हुआ उन्होंने उसे सही तो किया लेकिन तबतक देर हो चुकी थी।
पहले भी फिसल चुकी जबान… यह कोई पहला मौका नहीं
राहुल गांधी का आलू से सोना निकालने वाला बयान तो याद ही होगा। 2017 के गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में दिए बयान पर खूब मजे लिए गए थे। उन्होंने रैली में मौजूद लोगों से कहा कि एक तरफ से आलू डालोगे और दूसरी ओर से सोना निकलेगा। यहीं नहीं 2017 में दिए इस बयान को 2018 के एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भी खूब भुनाया गया था। हालांकि इस बयान का फैक्ट चेक किया गया तो पाया कि वह यह बयान पीएम मोदी के लिए कह रहे थे लेकिन इसे एडिट कर राहुल का बयान बना दिया गया। आलू से सोना निकालने वाली बात के बाद से ऐसे कई मौके आए जब राहुल गांधी की जबान भरे मंच में फिसल गई और अर्थ का अनर्थ हो गया। उसपर भी नजर डालते हैं।
इंदिरा कैंटीन को बोल गए अम्मा कैंटीन
राहुल गांधी साल 2017 में तमिलनाडु गए थे। वहां लोगों को बेहद कम दाम में खाना उपलब्ध कराने के लिए इंदिरा कैंटीन नामक सुविधा शुरु की गई थी। राहुल ने स्कीम की तारीफ करते हुए उसे इंदिरा की जगह अम्मा कैंटीन बोल दिया। फिर क्या था ट्रोल्स ने उन्हें खूब ट्रोल किया। आपको बता दें कि अम्मा कैंटीन कर्नाटक में चलती है जिसमें वहां की सरकार बेहद कम दाम में लोगों को खाना उपलब्ध कराती है।
स्टीव जॉब्स को माइक्रोसॉफ्ट का बता दिया
राहुल गांधी ने इसके बाद एक और बयान देकर अपनी फजीहत कराई थी। महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई के नार्सी मुंजी संस्थान में राहुल छात्रों को संबोधित कर रहे थे कि तभी उन्होंने कहा कि एक दिन आप इस देश को चलाएंगे, संस्थानों पर राज करेंगे, आप माइक्रोसॉफ्ट में स्टीव जॉब्स की भूमिका में होंगे। बस यहीं राहुल से ब्लंडर हो गया। आपको बता दें कि स्टीव जॉब्स माइक्रोसॉफ्ट में नहीं एप्पल के सीईओ थे।
मनरेगा से महामा गांधी का नाम ही हटा दिया
संसद में राहुल गांधी एनडीए सरकार पर हमलावर थे। मनरेगा स्कीम को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे थे। तभी उन्होंने मनरेगा को केवल नरेगा बोल दिया। मतलब मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम ही हटा दिया। संसद में इतना बोलते ही हंगामा होने लगा। इसे देखते ही राहुल ने अपनी गलती सुधारी और कहा कि भूल गया…भूल गया। हां मैं गलती करता हूं…. मैं RSS से नहीं हूं।
राहुल की इधर जुबान फिसली और उधर बीजेपी ने लपक लिया
राहुल गांधी का चाहे आलू वाला बयान हो या आज का आटे वाला, अगर कोई इन बयानों को भुनाता है तो वह है भाजपा। आज के आलू वाले बयान पर मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने राहुल की इस बात पर चुटकी लेते हुए कहा कि आज आटे को लीटर में नापा है, कल पेट्रोल को किलो में नापेंगे। वह हर बात काफी नाप-तौल कर करते हैं। वीडी शर्मा के इस 6 सेकेंड के वीडियो को लोग खूब रीट्वीट कर रहे हैं। इसके अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर संबित पात्रा ने भी आटे के लीटर वाले बयान पर राहुल गांधी पर चुटकी ली। आलू से सोना बनाने वाले बयान पर खुद पीएम मोदी चुटकी ले चुके हैं। 2019 की चुनावी रैली में पीएम ने कहा था कि हमारे देश में ऐसे बुद्धिमान और तेजस्वनी लोग रहते हैं जो आलू से सोना बनाते हैं लेकिन, वह हम नहीं कर सकते।
राहुल के इन्हीं बयानों पर उनका उपनाम भी पड़ गया था। हालांकि उसे देने वाले उन्हीं के पार्टी के नेता थे। राहुल के बयान उन्हीं के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। ये बयान भारतीय जनता पार्टी भी संजीवनी की तरह यूज करती है। ऐसे बडे़-बड़े मौकों पर राहुल गांधी की यह गलती उनके राजनीतिक जीवन में भी डेंट की तरह चिपक गई है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि 2024 में आम चुनाव हैं। 2014 से लेकर अबतक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे कांग्रेस के खाते में एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसी बड़ी जीत के अलावा कुछ नहीं है। वो भी इन तीनों में एक राज्य एमपी में सिंधिया के सरकार गिराते ही कमान भाजपा के हाथ में है। 2014 और 2019 में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन ने उन्हें इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था उसके बाद से कांग्रेस में पर्मानेंट अध्यक्ष की तलाश है। राहुल ने विपक्षी एकजुटता की बात आज फिर दोहराई लेकिन इशारों-इशारों में बता दिया कि उनके अंदर भी एक पीएम का सपना पल रहा है। दूसरी ओर मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहे सभी विपक्षी दल राहुल को पीएम पद के लिए एकमत नहीं है। कारण यह है कि ममता, अखिलेश और शरद पवार जैसे नेताओं के अंदर भी पीएम बनने की चाह है। ऐसे में राहुल की ऐसे मौकों पर जुबान फिसलने और ट्रोल्स का निशाना बनने के चलते कांग्रेस भी बैकफुट में चली जाती है।