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Supreme Court Dismisses Zakia Jafri Plea Against SIT Clean Chit To Narendra Modi In 2002 Gujarat Riots: गुजरात दंगे, मोदी, साजिश… आखिरकार SIT रिपोर्ट में ‘खोट’ न निकाल सके सिब्बल और जाकिया जाफरी


नई दिल्ली: गुजरात दंगे की जांच के लिए बनी SIT के चीफ आरके राघवन को बाद में उच्चायुक्त बनाया गया। अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर पीसी पांडेय को बाद में गुजरात का डीजीपी बनाया गया। छानबीन में एसआईटी ने कई खामियां कीं और अहम साक्ष्य को नजरअंदाज किया… ये दलीलें देते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने सुप्रीम कोर्ट में खुद को भी दंगे का पीड़ित बताया। भावुक होकर बोले कि बंटवारे के दौरान मैंने अपने मैटरनल पैरेंट्स को खोया है। हालांकि वे एसआईटी रिपोर्ट में कोई खामी नहीं ढूंढ पाए। सुप्रीम कोर्ट ने आज यह कहते हुए जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी कि इसमें कोई मेरिट नहीं है। यह मामला गुजरात दंगे में एसआईटी की ओर से तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी और अन्य को क्लीन चिट देने के खिलाफ था। यह क्लोजर रिपोर्ट फरवरी, 2012 में एसआईटी ने मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुए दाखिल की थी। इस तरह से देखें तो गुजरात दंगे को 20 साल बीत गए लेकिन इसकी फाइल रह-रहकर खुलती आ रही है। कभी हाई कोर्ट तो कभी सुप्रीम कोर्ट, चूंकि नाम वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी का जुड़ा है तो जैसा कि कोर्ट में तर्क दिया गया ‘मामले को गरम रखने की कोशिश होती रही’।

2012 में गुजरात कोर्ट ने एसआईटी रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की जाकिया की मांग खारिज कर दी थी। तब कपिल सिब्बल केंद्र में टेलिकॉम मिनिस्टर हुआ करते थे। उसी दिन उन्होंने मीडिया में बयान दिया कि निर्दोष लोग 9 साल से इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं और हम अब भी जांच रिपोर्ट की कॉपी हासिल करने के लिए कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस बार सिब्बल जाकिया के वकील की हैसियत से सुप्रीम कोर्ट में खड़े थे।

एसआईटी का जो निष्कर्ष है वह मुख्य तथ्यों से परे है… मेरी चिंता भविष्य के लिए है। सांप्रदायिक हिंसा ज्वालामुखी की लावा की तरह है जो धरती पर जब आता है तो उसे भारी नुकसान पहुंचाता है और बुरा असर डालता है।

सिब्बल की दलील

ट्रेन में आग और फिर भड़क गए दंगे
गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगाए जाने से 59 लोगों के मारे जाने की घटना के ठीक एक दिन बाद भड़के दंगे में 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में 68 लोग मारे गए थे। इनमें कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। उनकी पत्नी जाकिया जाफरी ने ही इस मामले को ठंडा नहीं पड़ने दिया। साजिश के आरोपों में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का भी नाम उछाला गया। हालांकि उसी समय मीडिया में खबरें आई थीं कि एसआईटी रिपोर्ट ने पाया कि ऐसे कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं जिससे यह साबित होता हो कि सीएम ने कोई गैरकानूनी आदेश दिया हो। जबकि ऐसे आरोप लगाए जा रहे थे कि तत्कालीन सीएम ने मीटिंग में पुलिस अधिकारियों से दंगाइयों पर नरमी बरतने को कहा था। सूत्रों के हवाले से खबर आई कि सीएम के खिलाफ शिकायत करने वाले पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट उस मीटिंग में मौजूद ही नहीं थे। बताते हैं कि 2012 में सिब्बल और यूपीए सरकार ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए पूरा जोर लगा दिया था।

Gujarat Riots: मोदी को क्लीन चिट देने वाली SIT रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना, जाकिया की अर्जी खारिज
आज सुप्रीम कोर्ट से भी झटका
आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सिब्बल को झटका दिया। जस्टिस ए.एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को बंद करने संबंधी एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ दायर जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया और विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को भी बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

अप्रैल 2012 में अहमदाबाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा था, ‘एसआईटी के मुताबिक जाकिया जाफरी की शिकायत में लिए गए नामों में से किसी के भी खिलाफ कोई अपराध साबित नहीं हुआ है।’ इसमें एक नाम तब गुजरात के सीएम रहे मोदी का भी था। तब जाफरी ने मोदी के खिलाफ दी गई अपनी शिकायत में कहा था कि उनके मंत्रिपरिषद के सहयोगियों, पुलिस अधिकारियों, भाजपा के नेताओं ने मिलकर दंगे में बड़ी साजिश रची जिसमें 1000 से ज्यादा लोग मारे गए और उनमें ज्यादातर मुस्लिम थे।

2002 के दुर्भाग्यपूर्ण दंगों और फर्जी मुठभेड़ों के सहारे मोदी को फंसाने की जितनी भी कोशिशें की गई हैं, एक-एक कर वे सभी नाकाम हो चुकी हैं। आगे भी ऐसी जितनी भी कोशिश की जाएगी, मोदी उससे और मजबूत होकर उभरेंगे।

अरुण जेटली, 9 साल पहले मोदी को क्लीन चिट मिलने पर

आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक बार फिर एसआईटी रिपोर्ट को सही माना गया जिसमें विशेष जांच दल ने नरेंद्र मोदी को सारे आरोपों से मुक्त कर दिया था।

जांच रिपोर्ट और जाकिया जाफरी
8 फरवरी 2012 को एसआईटी के जांच अधिकारी हिमांशु शुक्ल ने अपनी रिपोर्ट अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन कोर्ट में पेश की थी। अदालत की तरफ से कहा गया कि एसआईटी ने रिपोर्ट में मोदी सहित 58 लोगों के खिलाफ सबूत नहीं होने के आधार पर मामला नहीं चलाने की सिफारिश की है। एसआईटी की इस क्लोजर रिपोर्ट को जकिया जाफरी की तरफ से चुनौती दी गई और संबंधित दस्तावेजों की मांग की गई।

अदालत के आदेश के आधार पर 7 मई 2012 को जाकिया को एसआईटी की 541 पन्नों की क्लोजर रिपोर्ट और करीब 22 हजार पन्नों के दस्तावेजों के साथ ही 14 सीडी भी दी गई। जाकिया ने चार प्रोग्रेस रिपोर्ट्स की भी मांग की, जो एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये रिपोर्ट्स भी जाकिया को मिल गईं। इन दस्तावेजों के आधार पर जाकिया की तरफ से लगातार याचिकाएं दायर की गईं। जाकिया के वकीलों ने तर्क रखा कि एसआईटी ने मामले से जुड़े अहम सबूतों की तरफ ध्यान नहीं दिया और क्लोजर रिपोर्ट फाइल करने में जल्दबाजी दिखाई। हालांकि आज एक बार फिर उन्हें झटका लगा।



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By admin