आईआईटी कानपुर से पढ़ाई करने के बाद तो सीधे विदेश में नौकरी का दरवाजा खुलता है। लेकिन यूपीएससी सिविल सेवा में आने का कैसे संयोग हुआ, इस सवाल पर श्रेयाश्री बताती हैं कि उनके पिताजी, दिनेश चौधरी पहले भारतीय वायु सेना में नौकरी करते थे। वहां 20 साल की नौकरी के बाद रिटायर हुए और फिर तत्कालीन इलाहाबाद बैंक अब इंडियन बैंक में क्लर्क कम कैशियर की नौकरी कर ली। पिता की एयर फोर्स की नौकरी के दौरान ही श्रेया को देश सेवा की प्रेरणा मिली। फिर उनकी मां संगीता चौधरी ने भी उन्हें कहीं दूसरी जगह नौकरी करने से पहले आईएएस की परीक्षा देने को प्रेरित किया।
कोचिंग नहीं, सेल्फ स्टडी से मिली सफलता
श्रेयाश्री के पिता यूं तो बैंक में नौकरी करते हैं। अच्छा वेतन मिलता है। लेकिन इतनी भी आमदनी नहीं है कि परिवार का पालन पोषण करते हुए बेटी को लाखों रुपये की कोचिंग दिल्ली जैसे शहर में दिलवा सकें। इस स्थिति को जानते हुए श्रेया ने सेल्फ स्टडी को ही सहारा बनाया। वहीं अनूपपुर में ही तैयारी करती रही। लेकिन, पहले प्रयास में उसका पीटी भी क्लियर नहीं हुआ। इससे घबराये बिना दूसरी बार फिर से सिविल सेवा परीक्षा में फार्म भरा। इस बार पीटी भी निकला, मेंस एक्जाम भी क्लियर हुआ और इंटरव्यू में भी अपना परचम लहराया। आज जब परिणाम निकला तो उसका रैंक पूरे देश में 71वां था।
आईएएस मिलना तय है
इस साल कुल 180 सफल अभ्यर्थियों को आईएएस बनाया जाएगा। इनमें से जनरल कैटेगरी से 72 अभ्यर्थी आईएएस बनेंगे। श्रेया बताती हैं कि उनका रैंक 71वां है। तो उनका आईएएस बनना तय है। वह बताती हैं कि उनके पिताजी बराबर कहते थे कि तैयारी करो तो सिर्फ आईएएस बनने के लिए। उसी को ध्येय बना कर उसने तैयारी की और आज यह सफलता मिली।
इस साल 685 उम्मीदवारों ने किया क्वालीफाई
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 के अंतिम परिणाम में कुल 685 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया है। इनमें 508 पुरुषों और 177 महिलाओं ने क्वालीफाई किया है। आयोग ने विभिन्न केंद्रीय सेवाओं में नियुक्ति के लिए उनके नामों की सिफारिश भी कर दी है।
शुरूआती तीन स्थानों पर महिला
यूपीएससी द्वारा घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2021 के अंतिम परिणामों में श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल और गामिनी सिंगला ने परीक्षा में क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है।