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monkeypox know everything about it: All you need to know about Monkeypox Virus: In which countries has monkeypox spread and what are dangers: What are the symptoms of monkeypox disease: Everything you need to know about monkeypox: 15 दिन में 15 देशों तक पहुंचा मंकीपॉक्स, भारत में फैलने का कितना है खतरा, WHO क्यों दे रहा चेतावनी


Monkeypox All You Need to Know: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी… मंकीपॉक्‍स तेजी से फैल रहा है। सिर्फ 15 दिनों में यह बीमारी 15 मुल्‍कों में फैल गई है। कोरोना के बाद मंकीपॉक्‍स के फैलने की खबर दुनिया के लिए अच्‍छी नहीं है। भारत में भी इसे लेकर खलबली है। यूं तो देश में इसका कोई केस नहीं है। लेकिन, सरकार पूरी तरह अलर्ट है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की वॉर्निंग से समझा जा सकता है कि इस बीमारी को हल्‍के में नहीं लिया जा सकता है। उसने कहा है कि किसी देश में इसका एक केस भी मिलता है तो उसे आउटब्रेक मान लिया जाएगा। सवाल है कि यूरोप में हलचल मचाने वाले मंकीपॉक्‍स से भारत को कितना खतरा है? यह बीमारी किन-किन देशों में फैल गई है? इसके लक्षण क्‍या हैं? क्‍यों यह बीमारी तेजी से फैल रही है? भारत में इससे निपटने की किस तरह की तैयारी है? आइए, यहां इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

किन-किन देशों में फैल चुका है मंकीपॉक्‍स?
मंकीपॉक्‍स का सबसे ज्‍यादा कहर यूरोप में है। हालांकि, दूसरे देशों में भी यह बीमारी फैल रही है। 15 दिनों में 15 मुल्‍कों में इस बीमारी ने पांव फैला लिए हैं। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, स्वीडन, स्पेन, पुर्तगाल, ऑस्‍ट्रलिया, जर्मनी, इजरायल, कनाडा, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड शामिल हैं।

मंकीपॉक्स वायरस तेजी से क्यों फैल रहा है?
वायरस बहुत छोटे जीवित पार्टिकल होते हैं। इन्‍हें रोक पाना काफी मुश्किल होता है। मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों और इंसानों के संपर्क से फैल सकता है। इसका ट्रांसमिशन रेट 3.3 फीसदी से 30 फीसदी तक माना गया है। लेकिन, हाल ही में कांगो में यह रेट 73 फीसदी था। वायरस कटी-फटी त्वचा, श्वास नली या आंख, नाक या मुंह के जरिये शरीर में एंट्री करता है।

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कैसे फैलती है बीमारी?
यह किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके कपड़ों या चादरों के संपर्क के माध्यम से फैल सकता है। लेकिन अभी तक यौन जनित संक्रमण का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया है। अधिकतर लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है। कुछ हफ्तों के भीतर लोग बीमारी से ठीक हो जाते हैं। चेचक के खिलाफ टीके मंकीपॉक्स को रोकने में भी प्रभावी हैं। कुछ एंटीवायरल दवाएं विकसित की जा रही हैं।

यूरोप में इतनी रफ्तार से कैसे फैला मंकीपॉक्‍स वायरस?
डब्ल्यूएचओ के एक एक्‍सपर्ट डॉ. डेविड हेमन ने कहा है कि यूरोप में हाल में दो रेव पार्टी में जोखिम भरे यौन व्यवहार के कारण संभवत: इसका प्रसार हुआ। उन्‍होंने मंकीपॉक्स के प्रकोप को ‘अप्रत्याशित घटना’ के रूप में वर्णित किया है। डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन विभाग के प्रमुख रहे हेमन ने कहा कि सबसे मजबूत सिद्धांत यह है कि स्पेन और बेल्जियम में आयोजित दो रेव पार्टी में समलैंगिकों और अन्य लोगों के बीच यौन संबंधों की वजह से इस बीमारी का प्रसार हुआ है। मंकीपॉक्स पूर्व में अफ्रीका के बाहर नहीं फैला था, जहां पर यह स्थानीय स्तर की बीमारी थी।

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क्या मंकीपॉक्स अगली महामारी होगा?
एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि इसके वैश्विक महामारी में बदलने का जोखिम कम है। हालांकि, इसका सोर्स एक नहीं है। यह कई तरह से फैलता है। यही कारण है कि सेक्‍चुअल ट्रांसमिशन जैसी चीजों को ध्‍यान में रखा जा रहा है। जर्मनी में रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के एक रिसर्चर फैबियन लिएन्डर्ट्ज ने कहा है कि मंकीपॉक्स का कहर कोरोना जैसी महामारी में विकसित नहीं होगा। इसकी वजह है कि यह वायरस कोरोना जितना आसानी से नहीं फैलता है।

क्‍या है मंकीपॉक्‍स की बीमारी?
मंकीपॉक्स ‘चेचक’ की बीमारी की तरह है। यह एक वायरल इन्फेक्शन है। पहली बार इसका 1958 में पता चला था। इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला केस 1970 में सामने आया था। यह बीमारी मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होती है। यह वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली से जुड़ा है। इसमें चेचक और चेचक रोग पैदा करने वाले वायरस आते हैं।

मंकीपॉक्‍स बीमारी में क्‍या लक्षण दिखते हैं?
मंकीपॉक्स होने पर मरीज में कई लक्षण दिखते हैं। ये लक्षण आमतौर पर दो से चार हफ्ते रहते हैं। लक्षणों के गंभीर होने पर जान का भी खतरा होता है। हाल में इसकी मॉर्टेलिटी रेट यानी मृत्यु दर करीब 3-6 फीसदी रही है। इसके मुख्‍य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, सूजन, ठंड लगना, थकावट और त्वचा पर चेचक जैसे दाने होना शामिल हैं।

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भारत की क्‍या है तैयारी?
दुनिया में मंकीपॉक्‍स के बढ़ते मामलों को देख केंद्र सरकार ने हाल में अलर्ट जारी किया था। यह अलर्ट नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को जारी किया गया है। निर्देश दिए गए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट किया जाए। साथ ही सैंपल को जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में भेजा जाए। मुंबई के नगर निकाय ने यहां के कस्तूरबा अस्पताल में संदिग्ध मरीजों को आइसोलेट की व्यवस्था के तहत 28 बिस्तरों वाला एक वॉर्ड तैयार रखा है।

मंकीपॉक्‍स पर WHO ने क्‍या चेतावनी दी है?
मंकीपॉक्‍स पर डब्‍लूएचओं की वॉर्निंग से इस बीमारी की गंभीरता का पता लगता है। उसने चेतावनी दी है कि किसी देश में इस बीमारी का एक केस भी मिला तो आउटब्रेक माना जाएगा।

मंकीपॉक्स का इलाज क्‍या है?
अभी इसका कोई पक्का इलाज नहीं है। चूंकि यह बीमारी चेचक की तरह है। इसलिए चेचक में उपयोग किए जाने वाले टीकों से मंकीपॉक्स से सुरक्षा प्रदान हो सकती है। इसके लिए कुछ टीके विकसित किए गए हैं। इनमें से एक को रोग की रोकथाम के लिए बेहतर माना गया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, चेचक के इलाज के लिए विकसित एक एंटीवायरल एजेंट को भी मंकीपॉक्स के इलाज के लिए लाइसेंस दिया गया है।



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