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Asaduddin Owaisi On Gyanvapi Masjid Survey: Asaduddin Owaisi said, Gyanvapi Masjid was and will remain a mosque under the Places of Worship Act; Owaisi demanded the government to take action against those who filed cases on the basis of faith in the court; Owaisi said, we have lost the Babri Masjid, cannot lose the Gyanvapi Masjid; Owaisi made a direct attack on PM Narendra Modi; Varanasi Court’s decision called wrong – असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत ज्ञानवापी मस्जिद मस्जिद था और रहेगा; ओवैसी ने कोर्ट में आस्था के आधार पर केस करने वालों के खिलाफ सरकार से ऐक्शन लेने की मांग की; ओवैसी ने कहा, हम बाबरी मस्जिद खो चुके हैं, ज्ञानवापी मस्जिद नहीं खो सकते; ओवैसी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर बोला सीधा हमला; वाराणसी कोर्ट के फैसले को बताया गलत – Navbharat Times


वाराणसी: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कोर्ट के आदेश पर लगातार दूसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे कराया गया। कोर्ट की ओर से सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की गई। उनके नेतृत्व में दो दिनों में करीब 80 फीसदी मस्जिद का सर्वे कराया जा चुका है। सोमवार को एक बार फिर मस्जिद का सर्वे होगा। लेकिन, इस मुद्दे ने अब तूल पकड़ लिया है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक टीवी चैनल से बातचीत में वाराणसी कोर्ट के फैसले को ही गलत करार दिया है। ओवैसी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट का फैसला 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप स्पेशल प्रोविजन एक्ट के खिलाफ है। इस कानून के तहत साफ कहा गया है कि देश में सभी धार्मिक स्थलों की स्थिति वही बनाई रखी जाएगी जो 15 अगस्त 1947 को थी। उन्होंने इस एक्ट के आधार पर वाराणसी कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की सलाह ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी को दी है।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि बाबरी मस्जिद राम मंदिर टाइटल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 1991 का एक्ट संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर का हिस्सा है। इसलिए मैं कहता हूं कि कोर्ट का फैसला गलत है। इसलिए मैं कह रहा हूं कि मस्जिद कमेटी और पर्सनल लॉ बोर्ड को सर्वे और वीडियोग्राफी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। इस सर्वे को रुकवाना चाहिए। धार्मिक स्थलों की पूर्व की स्थिति को भी बरकरार रखने के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि संसद ने जब फैसला ले लिया कि सच यह रहेगा कि 15 अगस्त 1947 को बाबरी मस्जिद को छोड़कर जितने भी धार्मिक स्थान हैं, उनको, उनके नेचर को और कैरेक्टर को डिस्टर्ब या चेंज नहीं किया जाएगा। यह संसद का निर्णय है। यह सच है और इस सच को हम सबको स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को कानून के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ केस करना चाहिए। या फिर पीएम मोदी को कहना चाहिए कि उनके लिए उनकी आस्था का महत्व है और दूसरों की नहीं।

‘संसद का सच सबको मानना पड़ेगा’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संसद में जो एक्ट बना है, वही सच है और सबको उस सच को मानना पड़ेगा। अब कोई आकर कहेगा कि मेरा सच सही है। 1991 का एक्ट झूठ है तो वह संसद के कानून के खिलाफ बात कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ बात कर रहा है। सच का निर्णय हो चुका है। अब झूठ की जांच होनी चाहिए। सच्चाई की जांच नहीं हो सकती है।

ज्ञानवापी परिसर में स्थित माता श्रृंगार गौरी की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए पांच महिलाओं की अर्जी के मसले पर ओवैसी ने कहा कि जो सच है, वह सच रहेगा। दरअसल, 1992 से पहले ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में महिलाएं रोज पूजा करती थीं। बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद बढ़े तनाव को देखते हुए उस पर रोक लगा दी गई। अब साल में एक बार श्रृंगार गौरी की पूजा करने की अनुमति महिलाओं को मिलती है।

याचिकाकर्ताओं पर भी उठाए सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने पांचों याचिकाकर्ता महिलाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ये लोग इंदौर भी गईं। मथुरा भी गईं। अब कुतुबमीनार का नाम बदलने की बात कही जा रही है। ताजमहल को खोलने की बात कही गई तो इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को क्या कहा है, देख लीजिए। ओवैसी ने कहा कि एक तरफ इलाहाबाद हाई कोर्ट इस प्रकार की बात कर रहा तो लोअर कोर्ट ऐसे आदेश कैसे दे सकता है? मथुरा मुद्दे को लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से मामले को लटकाने के मामले में हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के मसले पर ओवैसी ने कहा कि सुनवाई करने की बात हुई है। कोर्ट ने 1991 के एक्ट का उल्लंघन करने की बात नहीं कही है। मुझे यकीन है कि मथुरा मामले में कोर्ट 1991 के एक्ट के आधार पर ही निर्णय देगा।

पीएम मोदी पर साधा निशाना
ओवैसी ने पीएम नरेंद्र मोदी पर इस मसले पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर पीएम कहते हैं कि हमारे लिए आस्था महत्वपूर्ण है। हमारे पास 300-350 सांसद हैं। मैं 1991 के एक्ट को ही खत्म कर दूंगा तो वह अलग बात है। लेकिन, जब तक एक्ट रहेगा तब तक वह इस बात की इजाजत नहीं देता है कि किसी भी धार्मिक स्थल के नेचर और कैरेक्टर को बदला जाए। अगर आस्था की बुनियाद पर फैसला होगा तो कोई रोकने वाला नहीं है। मस्जिद की दीवार पर मंदिर के प्रतीक चिन्ह और अवशेषों के रहने के दावों पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अब वह मंदिर नहीं है। 1991 के एक्ट ने साफ कर दिया कि वह मस्जिद है, तो उसे उसी रूप में माना जाएगा। वह मस्जिद है, थी और रहेगी। अब इस पर कोई बहस नहीं होगी।

ओवैसी ने कहा कि ऐसा हुआ तो कल कोई कोई हाजी अली की दरगाह में कह देगा। कोई ताजमहल के बारे में कह देगा, वह मंदिर था। कुतुब मीनार के बारे में दावा किया जा रहा है। यह कहां खत्म होगा? आप कानून को मानिए और मानना पड़ेगा। उन्होंने बिना बाबरी मस्जिद का नाम लिए कहा कि मैं एक मस्जिद को खो चुका हूं। दूसरे को नहीं खोना चाहूंगा। बाबरी मस्जिद का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1948 में धोखे से अंधेरे में मस्जिद में मूर्तियां रखी गईं। बाबरी मस्जिद को न ढाहे जाने की बात सुप्रीम कोर्ट में कही गई, लेकिन उसे तोड़ा गया। किसी को सजा भी नहीं हुई।

केस के स्वीकार करने पर दिया बड़ा बयान
ओवैसी ने कोर्ट की ओर से केस स्वीकार किए जाने के मसले पर कहा कि यह सिलसिला कहां तक जाकर रुकेगा। हर बार मामले को नए तरीके से लाकर, आस्था को बुनियाद बनाकर आप मुझसे मेरी मस्जिद को छीनना चाहते हैं। गौरी श्रृंगार मंदिर में पूजा का अधिकार नहीं मिल सकता है। मुगल आक्रांताओं ने मंदिर नहीं तोड़ा था। मैं कानून की बात करता हूं। मैं पीएम नरेंद्र मोदी से पूछना चाहता हूं तो वे देश को आस्था के आधार पर चलाएंगे या फिर कानून के आधार पर चलेगा। आपकी आस्था जरूरी है या फिर कानून के आधार पर देश चलेगा। आप क्या देश को संदेश देना चाहते हैं? यह साफ करना होगा।



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By admin