अंबरदार ने अब्दुल्ला परिवार को मूल रूप से इस्लामिस्ट करार दिया। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों को इन इस्लामिस्ट के हवाले छोड़ा गया। 32 साल पहले बहुत सुनियोजित तरीके से हिंदुओं का कत्लेआम किया गया। मस्जिदों से ‘कश्मीर में रहना होगा तो अल्लाह-हू-अकबर कहना होगा’ के नारे लगाए जाने लगे थे। रेप, मर्डर नरसंहार होता है, लेकिन दिल्ली में कोई हलचल नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि रोहिंग्या के लिए आप आजाद मैदान में अमर जवान ज्योति को तोड़ते हैं। कारण है कि वो मुसलमान हैं। हमस पर इजरायल रॉकेट दागता है तो जंतर-मंतर पर सेक्युलर और मुसलमान कैंडिल मार्च निकालते हैं। हिंदू मर रहा है। Hindu Lives do not matter।
अंबरदार बोले कि एक मुल्क है दुनिया के अंदर जो छोटा सा रह गया है। ये हजारों साल की लड़ाई है। ये गजवाए हिंद की लड़ाई है। हजारों साल पहले जब मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर कब्जा किया था तब से हिंदुओं का नरसंहार हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस देश को नरेंद्र मोदी की बहुत ज्यादा जरूरत है। लेकिन, उन्हें गलत सूचनाएं दी जा रही हैं। राहुल भट्ट की शव यात्रा में कश्मीर के अंदर वंदे मातरम के नारे लग रहे थे। हालांकि, साथ में पीएम मोदी के खिलाफ भी नारे लग रहे थे। यह बहुत दुखद था।
चर्चा में शामिल होने के लिए जम्मू-कश्मीर पीस फोरम के चेयरमैन सतीश महालदार भी पहुंचे थे। महालदार ने इसके लिए बीजेपी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जहां तक कश्मीर में माइनॉरिटी का सवाल है तो बीजेपी के लोग उनसे मिलने नहीं पहुंचते हैं। यह एक बड़ी हकीकत है।
महालदार ने आरोप लगाया कि स्थानीय होने के नाते जो इनपुट मिलते हैं, उन्हें ब्यूरोक्रेसी के साथ साझा करने के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। जम्मू-कश्मीर में तमाम अल्पसंख्यक बहुत नाजुक स्थिति में हैं, लेकिन उनका हाल लेने कोई नहीं पहुंचता है।