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जब से दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कश्मीर फाइल्स फिल्म को टैक्स फ्री किए जाने की मांग पर लंबी स्पीच दी है, देशभर में आंदोलन शुरू हो गया है। हां यह केजरीवाल टाइप धरना प्रदर्शन तो नहीं है लेकिन सोशल मीडिया पर, गली-नुक्कड़, घरों में गुस्सा जाहिर किया जा रहा है। इतना कि लोग अपने गुस्से को वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। पहले यह जान लीजिए कि केजरीवाल ने अति जोशीली स्पीच में विधानसभा में ऐसा क्या कह दिया कि कश्मीर फाइल्स की चर्चा के केंद्र में दिल्ली के सीएम की तस्वीर टंग गई है। दरअसल, कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नरसंहार को सामने रखने वाली फिल्म कश्मीर फाइल्स को भाजपा शासित प्रदेशों में टैक्स फ्री किया गया है। दिल्ली में नहीं हुई, तो बीजेपी को मुद्दा मिला और उसने मांग तेज कर दी। एमसीडी चुनाव में देरी थी तो इसे एक तरह का 'काम' भी कह सकते हैं। केजरीवाल जी 24 मार्च 2022 को बोलने के लिए खड़े हुए तो उन्होंने #TheKashmirFiles को 'झूठी फिल्म' कह दिया। भाजपा पर बरसते हुए उन्होंने कहा, 'आपके साथ मिलकर राष्ट्र निर्माण करेंगे। ये पोस्टर नहीं लगवाएंगे झूठी फिल्मों के.... और जो भी करना हो, कम से कम ये पिक्चर का प्रमोशन करना तो बंद कर दो। गंदे लगते हो तुम लोग... कुछ करने आए थे राजनीति में...।' केजरीवाल साहब ने जिस तरह से 'चमचों' और 'तुम लोग' कहकर विधानसभा में भाषण दिया वह भले ही आम आदमी पार्टी या राजनीतिक लोगों के लिए 'धो डाला' टाइप भाषण लगा हो पर देश में क्रांति करने और राजनीति को साफ करने आए दिल्ली के सीएम से आम लोगों को यह उम्मीद नहीं थी। 



अगर आप केजरीवाल की पूरी स्पीच देखें और फिर 2 मिनट सोचें कि यह क्या था तो आपको समझ में आएगा कि यह अति आत्मविश्वास था। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हाल ही में संपन्न हुए हैं। अभी 15 दिन पहले ही नतीजे आए और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने रेकॉर्ड सीटें जीतकर सत्ता हासिल की। ऑनलाइन बोलने का मौका तो मिला था लेकिन विधानसभा जैसा खुला मंच नहीं मिला था तो केजरीवाल साहब के अंदर की खुशी शब्दों में फूट पड़ी। विधानसभा में केजरीवाल के भाषण का अंदाज और उनके पीछे बैठे विधायकों के बात-बात पर खिलाकर हंसने वाला सीन देखिए, जब भी किसी सभा में विपक्ष कमजोर हुआ है यही देखा जाता है। जिस दिन केजरीवाल विधानसभा में बोले, उसी दिन पंजाब के सीएम भगवंत मान ने पीएम मोदी से मुलाकात की। उनकी तस्वीर आई तो लोग पीएम मोदी की पुरानी स्पीच ढूंढ लाए। वैसे पीएम मोदी के आकर्षक व्यक्तित्व, करिश्माई नेतृत्व और सम्मोहित करने वाली संबोधन शैली फिलहाल देश की राजनीति में किसी और के पास नहीं दिखती। ऐसा भी नहीं है कि वह 100 प्रतिशत लोगों को संतुष्ट कर पाए हैं, राजनीति में यह कोई नहीं कर सकता। उनकी भी बात बहुतों को बुरी या नागवार गुजरती है। जिनको लगी थी वे 24 मार्च को सोशल मीडिया पर वह वीडियो पोस्ट कर रहे थे जिसमें लोकसभा में पीएम मोदी ने भगवंत मान का नाम लेकर 'घी पीने पर' व्यंग्य किया था।  

खैर, अगर आप 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद केजरीवाल के हावभाव देखें तो लगता है कि वह पीएम से राजनीतिक समझ और कौशल का पाठ सीख रहे हैं। वह चुनाव में पीएम पर सीधे हमले नहीं करते। राज्यों के चुनावों में भाजपा और सीएम को टारगेट किया लेकिन मोदी जी को चुनौती देने का साहस नहीं किया। वैसे भी बनारस जाकर वह हश्र देख चुके हैं। विधानसभा में (70 में से 62 सीटें) उनको लोकसभा में बीजेपी जैसा दबदबा वाला फील आता होगा। जब वह बोलने लगे तो चेहरे के हावभाव से झलक रहा था कि यह दिल्ली नहीं पंजाब की जीत की हुंकार है। केजरीवाल ने पंजाब के नतीजों के बाद अखबारों के वह लेख भी पढ़े होंगे जिसमें उनकी पार्टी के देशभर में प्रभाव बढ़ने, राष्ट्रीय पार्टी बनने और केंद्र की सत्ता की तरफ बढ़ने की तमाम बातें और संभावनाएं जताई गई हैं। फिलहाल उनका आत्मविश्वास आसमान पर है। ऐसे में कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री करने की भाजपा की मांग को खारिज करने के चक्कर में वह भूल गए कि यह फिल्म नहीं है। 

वैसे भी जब से द कश्मीर फाइल्स फिल्म रिलीज हुई है, कई तरह की बातें और विवाद हो चुका है। कोई हिंदू-मुस्लिम, कोई केंद्र सरकार, कोई फारूक अब्दुल्ला- राज्यपाल, कोई कश्मीरी पंडितों के बीच मुस्लिम एकजुटता की बातें कर चुका है। मुझे लगता है कि लोगों को यह समझने की जरूरत है कि आप भले ही इस फिल्म को बड़े परदे पर पैसा खर्च करके देख रहे हैं लेकिन वास्तव में कश्मीर फाइल्स कश्मीरी पंडितों के साथ घटी घटना का सच्चा दस्तावेज है। और दस्तावेज गलत या झूठा नहीं होता। केजरीवाल जी भी यह समझने में चूक गए। उन्हें पीएम मोदी से यह बात भी सीखनी चाहिए कि राजनीतिक कटाक्ष के चक्कर में जन भावना का सम्मान करना नहीं भूलना चाहिए। 



सोशल मीडिया पर मांग हो रही है कि केजरीवाल को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने विवेक अग्निहोत्री का भी नाम अपने संबोधन में लिया था। ऐसे में कश्मीरी पंडित ही नहीं, देशभर से लोग केजरीवाल के पुराने ट्वीट शेयर कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कई फिल्मों की तारीफ की थी। लोग पूछ रहे हैं कि आप फिल्मी कहानी और सच्ची घटना का फर्क भूल गए हैं क्या केजरीवाल साहब? अपनी स्पीच में भाजपा नेताओं को दयनीय स्थिति में बतलाते हुए केजरीवाल ने यह भी कहा कि घर जाकर अपने बच्चों से क्या जवाब दोगे। बच्चे पूछेंगे कि पापा क्या काम करते हो? बोलेगे कि पिक्चर के पोस्टर लगाता हूं। 



भाजपा नेताओं के बच्चे क्या कहेंगे पता नहीं, लेकिन कश्मीर फाइल्स को झूठ कहने पर केजरीवाल साहब के बच्चे जरूर उनसे कहेंगे कि पापा, ये आपने क्या कह किया। फिल्म की आलोचना या तारीफ करने में कुछ भी गलत नहीं है। वैसे भी, 200 करोड़ कमाऊ पिक्चर से उन पंडितों का कोई फायदा नहीं होने वाला, लेकिन कम से कम उसे झूठा कहकर घाटी से भगाए गए देश के अपने ही भाइयों (कश्मीरी पंडितों) को 'गाली' तो मत दीजिए। अपने देश में रहते हुए उन्होंने जो सहा है, उसका हम लोग फिल्म देखकर सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं। महसूस करने वाले रो सकते हैं लेकिन जिनके ऊपर बीती है उनका क्या हाल हुआ होगा। जरा सोचिए। जीवित शख्स को लकड़ी काटने वाली आरी के सामने रखने की बात सोचकर ही दिमाग काम करना बंद कर देता है। 

केजरीवाल साहब और पूरी आम आदमी पार्टी को 24 कश्मीरी पंडितों की एक साथ जलती चिताओं के वीडियो को रीप्ले करके जरूर देखना चाहिए। क्या वो जलती चिताएं झूठी थीं। क्या माताओं और बहनों की चीत्कार नकली थी। बड़े फैसले को वापस लेकर अगर प्रधानमंत्री मोदी माफी मांगने का साहस रखते हैं तो केजरीवाल साहब को इस 'झूठ' के लिए कश्मीरी पंडितों से सॉरी तो कहना ही चाहिए।

डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं





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By admin