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standing committee on health and family welfare: राज्यों में मेडिकल कॉलेजों का काम तेजी से पूरा करे केंद्र, संसदीय समिति ने दिया निर्देश – parliamentary committee asked the center to expeditiously complete the work of medical colleges in the states


नई दिल्ली: ससंद की एक समिति ने देश में डॉक्टरों की भारी कमी का जिक्र करते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन योजना (Human Resource Plan for Health and Medical Education) के तहत आवंटन बढ़ाने, मेडिकल कॉलेजों की स्थापना का काम तेजी से पूरा करने और योजना के विभिन्न घटकों के तहत वास्तविक प्रगति की निगरानी के लिए तंत्र बनाने की सिफारिश की है। संसद में गुरुवार को पेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी स्थायी समिति के 134वीं रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति का मानना है कि नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटों की वृद्धि के लिए यह केंद्र प्रायोजित योजना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में डॉक्टरों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस योजना का उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा में निवेश और स्नातकोत्तर सीटों (Post Graduates Seats) की संख्या में वृद्धि करके स्वास्थ्य देखरेख क्षेत्र में इस अंतर को पाटना है।

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने हालांकि यह पाया कि स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन योजना के तहत वर्तमान प्रतिबद्ध देनदारियां 14,712.66 करोड़ रुपए की हैं। समिति को यह बताया गया कि उक्त योजना की अवधि को 2023-24 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। इस योजना के तहत बजटीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, समिति का मानना है कि इसके लिये आवंटन को बढ़ाने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘समिति मंत्रालय को इस योजना के तहत आवंटन बढ़ाने और योजना के विभिन्न घटकों के तहत वास्तविक प्रगति की निगरानी करने की सिफारिश करती है।’

समिति ने यह भी कहा कि केंद्रीय अंशदान निधियां जारी करना राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों की सरकार के प्रस्तावों को प्रस्तुत करने के अधीन होता है और इसके तहत विभिन्न राज्यों में कुल 157 मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए। हालांकि अब तक 157 मेडिकल कॉलेजों में से 71 कॉलेजों ने ही काम करना शुरू किया है।समिति ने मंत्रालय को योजना के विभिन्न चरणों के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों को पूरा करने में तेजी लाने की सिफारिश की। रिपोर्ट के अनुसार, समिति नोट करती है कि राज्य अपने सीमित संसाधनों के साथ एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं और चिकित्सा शिक्षा में व्यापक अंतर को पाटने के लिए केंद्र सरकार के सक्रिय सहयोग की जरूरत है।

समिति ने मंत्रालय से उन राज्यों से प्रस्ताव आमंत्रित करने की भी सिफारिश की जो स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत ढांचे से जूझ रहे हैं और जहां पर्याप्त संख्या में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की कमी है। समिति का मानना है कि राज्यों को भी आशावादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और सभी लंबित मुद्दों का समाधान करना चाहिए ताकि योजना के तहत नियमों का अंतरण जल्द से जल्द हो सके। समिति ने मेडिकल कॉलेजों के लिए एक मजबूत निगरानी और निरीक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इससे सुनिश्चित होगा कि चिकित्सा शिक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाए।



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By admin