दरअसल, मंगलवार को मेडिकल इमर्जेंसी के कारण इस जंबो जेट को इस्तांबुल के लिए डायवर्ट कर दिया गया था। सबसे नजदीक एयरपोर्ट यही था। लेकिन इसके बाद तुर्की से उड़ने में कई अड़चनें पैदा होने लगीं। यात्रियों के पास तुर्किश वीजा नहीं था और ट्रांजिट होटल इतना बड़ा नहीं था कि इतने लोगों को ठहराया जा सके। इमिग्रेशन अधिकारियों ने बिना वीजा के एयरपोर्ट से बाहर जाने से इनकार कर दिया, जिससे वे होटल जा सकें। ऐसे में यात्रियों की परेशानियां कम नहीं हुईं।
कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी तकलीफ साझा की। एक यात्री ने लिखा कि हमें फर्श पर सोना पड़ रहा है। 24 घंटे लाउंज में हैं और कोई सपोर्ट नहीं है। कोई स्पष्टता नहीं है कि हम कब लैंड करेंगे।
ग्रैमी अवॉर्ड विजेता रिकी केज ने लिखा कि सभी यात्री 17 घंटे से ज्यादा समय तक एयरपोर्ट पर बैठे रहे। कोई सो नहीं पाया… ठीक से जानकारी नहीं मिल रही कि हम घर कब जाएंगे। लुफ्थांसा का कोई स्टाफ नहीं दिखा। उन्होंने भारतीय ग्राहकों को लेकर एयरलाइंस के रवैये पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, ‘मेरी फ्रैंकफर्ट-बेंगलुरु फ्लाइट कल शाम 7 बजे मेडिकल इमर्जेंसी के कारण इस्तांबुल में लैंड हुई। 17 घंटे बाद भी होटल नहीं, स्टाफ नहीं, कोई कुछ बता नहीं रहा, 300 यात्री फंसे रहे।’