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नई दिल्ली: थाईलैंड से आ रहे एक व्यक्ति के पास से चेन्नई में प्यारे से दिखने वाले दो पिग्मी मार्मोसेट जब्त किए गए। दिलचस्प बात ये है कि इस जानवर को अगर आप चाहें तो अपने हाथ की अंगुलियों पर बिठा सकते हैं। जी हां, हथेली नहीं अंगुलियों पर। आज ‘जंगल न्यूज’ में पढ़िए इसी आकर्षक जीव के बारे में, इंसान जिनके दुश्मन बन चुके हैं। ये बंदरों की अलग ही दुनिया है। मूल रूप से दक्षिण अमेरिका के अमेजन जंगलों में पाए जाने वाले इन मार्मोसेट का अवैध व्यापार किया जा रहा है। दुनिया के सबसे छोटे बंदर के रूप में मशहूर ये मार्मोसेट महज 100 ग्राम के होते हैं। आकर्षक इतने कि वीडियो देखकर आप इन्हें करीब से देखना चाहेंगे।

जंगल में पेड़ों पर ये 2 से 9 के समूह में रहते हैं। इसमें एक मुखिया नर, एक मादा प्रमुख होती है। ये एक परिवार की तरह रहते हैं। एक दूसरे से बात करने के लिए ये इशारे, केमिकल छोड़ते हैं या फिर आवाज देते हैं। इसमें से ये अपनी बात दूसरे बिरादर तक पहुंचाने के लिए कौन सा विकल्प चुनेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह इनसे कितनी दूरी पर है। आज इन्हें अपने ठिकाने खत्म होने और ट्रेड से सबसे ज्यादा खतरा है।

ये पेड़ों से निकलने वाला गोंद खाते हैं। ये जीभ से उसे चाट लेते हैं। न मिले तो भी तितली जैसे कीट-पतंगों से काम चला लेते हैं। ये फल और छोटी छिपकली भी खा जाते हैं। इनका ठिकाना भी बदलता रहता है। जब तक पेड़ से गोंद मिलता रहे, ये वहीं जमे रहते हैं, आगे पूरा समूह दूसरे पेड़ की तलाश करने लगता है।

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इस तरह के नवजात बंदर की लंबाई 5-6 इंच होती है। इसे फिंगर मंकी कहते हैं। इनकी बाजार में कीमत 4000 डॉलर यानी 3 लाख रुपये से ज्यादा हो सकती है। आमतौर पर ये 15 से 20 साल जीवित रहते हैं। जंगल में इनका जीवन कम भी हो सकता है क्योंकि ये पेड़ से गिर जाते हैं। अगर कोई इसे पालने की ख्वाहिश रखता है तो यह जान लीजिए कि बेबी मार्मोसेट को कम से कम दो हफ्ते तक हर दो घंटे पर खिलाना पड़ता है। हालांकि कई देशों में इनका आयात और निर्यात गैरकानूनी है।

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कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ऐसे जानवरों को पालतू बनाकर घर में रखने में क्या गलत है? इंसानों से केयर मिलने पर ये ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं। हालांकि एक्सपर्ट की मानिए तो ये घरेलू जानवर नहीं होते हैं क्योंकि इन्हें घर में रहने के हिसाब से प्रशिक्षित नहीं किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में करीब 2500 मार्मोसेट ही बचे हैं।



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By admin