‘अंधकार काल’ नाम की अपनी किताब में मैंने बताया है कि एक जमाने में शिया, सुन्नी, हिंदू सब एक साथ मुहर्रम मनाते थे। अंग्रेजों के आने के बाद शियाओं को जिम्मेदारी मिली मुहर्रम मनाने की और बाकी सब धर्मों को हटा दिया। इसी के बाद दंगे शुरू हुए। हिंदुत्ववादी फिर से उसी दौर की तरफ जाना चाहते हैं
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