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महाराष्ट्र में भी शुरु होगा गुजरात की तरह सीएम डैशबोर्ड, एकनाथ शिंदे ने दो मंत्रियों को सौंपी जिम्मेदारी।


अहमदाबाद: देश के तमाम राज्यों के बाद अब जल्द महाराष्ट्र में सीएम डैशबोर्ड की शुरुआत होगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुजरात के सीएम डैशबोर्ड मॉडल को स्टडी करने के लिए गुजरात भेजा है। दोनों मंत्री सीएम डैशबोर्ड की कार्य प्रणाली को समझेंगे और फिर महाराष्ट्र में इसी तर्ज पर सीएम डैशबोर्ड की शुरुआत की जाएगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंंत्री ने उद्योग मंंत्री उदय सावंत और वन मंत्री सुधीर मुगंटीवार को भेजा है। दोनों मंंत्री गुजरात प्रवास में सीएम डैशबोर्ड की खूबियां जानेंगे और इसके बाद महाराष्ट्र में यह सिस्टम शुरु करने की दिशा में काम होगा।

क्या है सीएम डैशबोर्ड?
डैशबोर्ड शब्द काफी कॉमन है। कार में जिस तरीके से डैशबोर्ड होता है जहां से तमाम कमांड दिए जा सकते हैं। ठीक उसी तर्ज पर गुजरात का सीएम डैशबोर्ड अपनी तरह का पहला ऐसा सिस्टम है। जो ई-गर्वर्नेंस से जुड़े तमाम डाटा को एक कमांड पर स्क्रीन पर दिखा देता है। इससे मुख्यमंत्री कार्यालय को तमाम डिपार्टमेंट, सेवाओं और अधिकारियों के प्रदर्शन को मापने में आसानी होती है। इतना ही नहीं कोई समस्या है तो उसके निवारण में यह अहम भूमिका निभाता है। गुजरात सीएम डैशबोर्ड के जरिए राज्य की जोन वाइज समीक्षा होती है। इसमें जिले और तहसील के स्तर परफारमेंस को दिखाया जाता है। इतना ही नहीं सरकारी योजनाओं के क्रियान्यवन के लिए अंक भी प्रदान किए जाते हैं और इसके हिसाब से जिलों की रैंक तय होती है। ऐसे में यह सीएम डैशबोर्ड हर एक कलेक्टर को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। सीएम डैशबोर्ड से राज्य सरकार के सभी विभाग (सेक्रेटरी, एचओडी, नोडल/सब नोडल ऑफिसर्स) के साथ जिला मुख्यालयों को जोड़ा गया है। इनमें कलेक्टर, डीडीओ और एसपी आदि शामिल हैं।

CM dashboard final

गांधीनगर में सीएम डैशबोर्ड की कार्य प्रणाली को देखते महाराष्ट्र के मंत्री।

पेंडिंग वर्क की पूरी जानकारी
मुख्यमंत्री को अपने कार्यालय में बैठकर यह पता चल जाता है कि किस जिले का अमुख योजना में कैसा प्रदर्शन है। उदाहरण के तौर गांधीनगर में जिले में अब तक कितनी ग्रांट खर्च हुई। जमीन से जुड़े कितने फीसदी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण हुआ। इसके साथ ही ऑफिसर्स के केपीआई का पता चल जाता है कि अमुख अधिकारी ने दिए गए टास्क के बाद कितने पुलिस थानों का निरीक्षण किया।

2018 में हुई थी शुरुआत
गुजरात में साल 2018 में मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई थी। इसे नेशनल इंफारमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की मदद से स्थापित किया गया है। यह डैशबोर्ड ई-गर्वर्नेंस से जुड़े 3,000 इंडीकेटर पर प्रदर्शन का आकलन करता है। इसकी पहुंच ग्राम पंचायत तक है। गुजरात सरकार को सीएम डैशबोर्ड से फास्ट डिलीवरी और समस्याओं के तुरंत निदान में मदद मिली है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है योजनाएं हों या फिर विकास कार्य उनकी रियल टाइम मॉनीटरिंग इसके जरिए संभव है। कोरोना के मुश्किल वक्त में हॉस्पिटल में बेड, ऑक्सीजन आपूर्ति और दवाइयों की उपलब्धता आदि के बारे में भी सारी जानकारियां इस डैशबोर्ड की वीडियो वॉल के जरिए प्राप्त की जा सकी थी।

दूसरे राज्य हुए मुरीद
नीति आयोग के सीईओ परमेश्वरन अय्यर हों या फिर केरल सरकार के मुख्य सचिव वी पी जॉय सभी डैशबोर्ड की कार्यप्रणाली और फायदों की तारीफ कर चुके हैं। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के मुख्य प्रधान सचिव के कैलाशनाथन डैशबोर्ड की कार्य पद्वति को सबसे बेहतर तरीके से जानते हैं।

कैसे काम करता है डैशबोर्ड?
1. कलेक्शन ऑफ डाटा
2. वैलीडेशन ऑफ डाटा
3. एनालिसिस ऑफ डाटा
4. आईडेंटीफिकेशन ऑफ करेक्टिव इंडीकेटर्स
5. परफॉरमेंस मीजरमेंट
6. फीडबैक मैनेजमेंट
7. सिटीजन रिस्पांस
8. करेक्टिव मेकेनिज्म



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