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पूरे दलबल के साथ भारत आ रहे ताइवान के मिनिस्टर और चीन होगा बेचैन, जानिए क्यों


नई दिल्ली : ताइवान के समर्थन में अमेरिका के खड़ा होने के कारण चीन हर छोटी-बड़ी घटना पर नजर रखता है। दो महीने पहले जब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी का प्लेन ताइवान में उतरा तो मीडिया में आशंका जताई गई थी कि क्या ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में युद्ध हो सकता है? दरअसल, चीन के लिए ताइवान हमेशा से ऐसा अभियान रहा, जो आज तक पूरा नहीं हो पाया। चीन इसे अपना बताता है और ताइवान की सरकार खुद को ‘असली चीन’ बताती है। इस बीच, ताइवान के टॉप मिनिस्टर अपने दलबल के साथ भारत आ रहे हैं तो चीन का बेचैन होना लाजिमी है। ताइवान भारत में एक सेमीकंडक्टर बनाने की इंडस्ट्री स्थापित करना चाहता है। उसका फोकस मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी है। पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकतों के बाद सीमा पर बिगड़े हालात के मद्देनजर भारत और ताइवान में बढ़ती नजदीकी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

तब बोला था, आग से खेल रहा भारत
पहले जब भी ताइवान के नेता भारत आए तो चीन विरोध जताता रहा। 2017 में ताइवान का संसदीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली आया था तो चीन ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा था कि भारत को ‘वन चाइना’ पॉलिसी का पालन करना चाहिए और ताइपे के साथ कोई आधिकारिक संबंध नहीं रखना चाहिए। चीन की सरकारी मीडिया ने कहा था कि भारत ताइवानी डेलिगेशन की मेजबानी कर आग से खेल रहा है। दरअसल, चीन चाहता है कि जिन देशों के साथ उसके राजनयिक संबंध हैं वे ताइवान के साथ कोई आधिकारिक रिश्ते न रखें। चीन ताइवान को अपना बताता है और हर हाल में उसे फिर से मिलाने का दावा करता रहता है।

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सेमीकंडक्टर बनाने में माहिर है ताइवान
भारत और चीन के संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। इधर, भारत इसी हफ्ते ताइवान के मंत्रिमंडलीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करने जा रहा है। उनके साथ ताइवान का एक इंडस्ट्री डेलिगेशन भी दिल्ली आ रहा है। ताइवान दुनियाभर में सेमीकंडक्टर का प्रमुख उत्पादक देश है। वह सेमीकंडक्टर, 5जी, सूचना सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करना चाहता है।

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ताइवान के आर्थिक मामलों के डेप्युटी मिनिस्टर चेन चेर्न-ची दिल्ली आ रहे हैं। भारत में ताइवान के प्रतिनिधि बाउशुआम गेर ने कुछ हफ्ते पहले कहा था कि दोनों देशों को जल्द से जल्द FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर हस्ताक्षर करना चाहिए। ताइवानी प्रतिनिधि ने जोर दिया है कि इस समझौते से कारोबार एवं निवेश में सभी अड़चनें खत्म हो जाएंगी और इससे एक सशक्त सप्लाई चेन तैयार करने में मदद मिलेगी।

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ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी Foxconn और भारत की मेटल-माइनिंग कंपनी वेदांता का जॉइंट वेंचर गुजरात में एक सेमीकंडक्टर प्लांट बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। यहां 2025 में प्रोडक्शन शुरू हो सकता है। पिछले दशक में भारत का ताइवान के साथ आर्थिक गठजोड़ मजबूत हुआ है। कृषि, निवेश, रेलवे, सिविल एविएशन, औद्योगिक सहयोग, एसएमई सहयोग आदि बढ़ा है। दोनों पक्ष अपने-अपने क्षेत्र में आगे हैं।

भारत और ताइवान के बीच द्विपक्षीय कारोबार 2006 में 2 अरब डॉलर था जो 2020 में बढ़कर 5.7 अरब डॉलर पहुंच गया। निवेश की बात करें तो करीब 106 ताइवानी कंपनियां भारत के विभिन्न सेक्टर में काम कर रही हैं। इनका कुल निवेश करीब 1.5 अरब डॉलर का है।



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By admin