थरूर रेस में जरूर, पर कभी नहीं रहे फेवरेट
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान 17 अक्टूबर को होगा। नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे के रेस में आ जाने से पूरा समीकरण बदलता दिख रहा है। कांग्रेस में जिस तरह से उनके नाम का प्रस्ताव रखा गया है वह अपने आप में बहुत कुछ कह देता है। बेशक, थरूर इस मुकाबले में शुरू से हैं। लेकिन, उन्हें कभी फेवरेट नहीं माना गया। तब भी नहीं जब उनकी गहलोत से टक्कर की अटकलें चल रही थीं और अब भी नहीं जब सामने मल्लिकार्जुन खड़गे जैसा खांटी कांग्रेसी उनके सामने खड़ा हो गया है। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 30 कांग्रेसी नेताओं ने खड़गे के नाम का प्रस्ताव दिया है। जिन नामों के चुनाव लड़ने की अटकलें थीं, उन्होंने भी खड़गे को समर्थन देने की बात कही है। इनमें दिग्विजय सिंह शामिल हैं।
जी-23 के नेता तक थरूर के साथ नहीं
मजे की बात यह है कि मनीष तिवारी और आनंद शर्मा तक ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए खड़गे को समर्थन देने की बात कही है। यहां मनीष तिवारी और आनंद शर्मा का अलग से जिक्र करना इसलिए जरूरी है क्योंकि दोनों कांग्रेस के जी-23 ग्रुप के नेताओं में हैं। यह उन्हीं नेताओं की टोली है जिसने 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में ग्रुप ने संगठन में आमूलचूल बदलाव की पैरवी की थी। उसने कांग्रेस के आलाकमान पर भी सवाल उठाया था। थरूर भी उसी टोली के हैं। मनीष तिवारी और आनंद शर्मा ने अपने ग्रुप के मेंबर के बजाय मल्लिकार्जुन खड़गे के नॉमिनेशन का समर्थन किया है। तिवारी और शर्मा दिल्ली में खड़गे के नॉमिनेशन का समर्थन करने अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी (AICC) के कार्यालय पहुंचे।
दोस्त तो हैं पर साथ नहीं
तिवारी ने कहा कि उन्होंने खड़गे के नॉमिनेशन का समर्थन किया है। शशि थरूर उनके दोस्त थे, हैं और रहेंगे। कांग्रेस में जिन्होंने अपना पूरा जीवन दिया है, वो यहां हैं। दिग्विजय सिंह ने उम्मीदवारी से नाम वापस लिया है। बहुत अच्छा होगा अगर आम सहमति बने। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि शशि थरूर ने परंपरा को मजबूत करने की कोशिश की है। दोनों ने कहा है कि इस मुकाबले से कांग्रेस मजबूत होगी।
शुक्रवार को दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से अपना नाम बाहर कर लिया। उन्होंने भी खड़गे का समर्थन करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह खड़गे जैसे सीनियर नेता के खिलाफ चुनाव लड़ने बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। सिंह दूसरे कांग्रेस नेता हैं जिन्होंने रेस से अपना नाम बाहर लिया है। उनके पहले अशोक गहलोत ऐसा कर चुके हैं। राजस्थान में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद गहलोत ने अपना नाम वापस ले लिया था। गहलोत ने भी खड़गे के नाम का प्रस्ताव दिया है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने खड़गे के नॉमिनेशन का स्वागत किया है।
साफ है खड़गे का रास्ता
कांग्रेस के ज्यादातर सीनियर नेताओं के रुख से साफ है कि खड़गे के लिए पार्टी के चीफ बनने का रास्ता बहुत कठिन नहीं होगा। वह शशि थरूर पर बहुत ज्यादा भारी पड़ेंगे। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। इसके बाद कहा कि उनके पास पार्टी को मजबूत करने का नजरिया है, जो ‘बदलाव’ लाएगा। नामांकन दाखिल करने के बाद थरूर ने खड़गे से मुकाबले के सवाल पर कहा कि वह कांग्रेस के भीष्म पितामह हैं। यह एक दोस्ताना मुकाबला है। वे कोई दुश्मन या प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं। वह उनका अनादर नहीं करते। लेकिन, अपने विचार जाहिर करेंगे।
थरूर और खड़गे दोनों दक्षिण भारत से नाता रखते हैं। वहीं, पार्टी के अधिकतर प्रतिनिधि जो चुनाव में मतदान करेंगे, वे हिंदी भाषी राज्यों से हैं। कर्नाटक के नेता खड़गे गांधी परिवार की पसंद हैं। यह भी एक कारण है कि उन्हें इतना जोरदार समर्थन मिला है। अशोक गहलोत को भी थरूर के मुकाबले इसीलिए फेवरेट माना जा रहा था।