केंद्रीय गृह मंत्री की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सबको है, लेकिन इसमें किसी और का धर्म बदलवा देने का अधिकार शामिल नहीं है। उसने कहा, ‘किसी और के धर्म के परिवर्तन का मौलिक अधिकार किसी को नहीं है।’ सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा है कि मध्यप्रदेश, उड़ीसा, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड और हरियाणा ने पहले ही जबरन धर्म परिर्तन के खिलाफ कानून बना रखे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जबरन परिवर्तन गंभीर मसला है और इससे देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए केंद्र सरकार से जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान जवाब दाखिल करने को कहा था।जबरन और धोखा देकर धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रावधान किए जाने के खिलाफ याचिका पर पर 23 सितंबर को सुनवाई हुई थी। तभी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर मांग की है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 21 एवं 25 के तहत फर्जी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने या फिर धमकी देकर या डराकर धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध घोषित किया जाए।