मैं घरवालों से कहकर आया हूं…
सुबह में जब मामले की सुनवाई शुरू हुई, एक वकील ने सूची में अंतिम पायदान पर सूचीबद्ध अपने महत्वपूर्ण मामले का उल्लेख किया। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘चिंता न करें, मैंने अपने घरवालों से कहा है कि आज मैं सूचीबद्ध सभी मामलों की सुनवाई पूरी किए बिना घर नहीं आऊंगा। मैंने उन्हें कहा है कि वे मेरा इंतजार न करें।’
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आम तौर पर सुबह साढ़े 10 बजे से शाम चार बजे तक सुनवाई करते हैं। शीर्ष अदालत में दशहरे की छुट्टी एक अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक होगी।
शुक्रवार रात में सुनवाई पूरी होने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने सभी वकीलों, स्टाफ और सुरक्षा अधिकारियों को धन्यवाद दिया। हाल में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि जजों को आमतौर पर अदालतों के सामान्य समय के बाद भी अपने चैंबर्स में काम करना पड़ता है और कभी-कभी यह आधी रात तक चलता है। कुछ दिन पहले चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा था कि अगर बच्चे सुबह 7 बजे स्कूल जा सकते हैं तो जज और वकील अपने दिन की शुरुआत सुबह 9 बजे क्यों नहीं कर सकते?
साढ़े तीन बजे उठ जाते हैं जस्टिस चंद्रचूड़
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों के बार-बार स्थगन के अनुरोध पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि हम नहीं चाहते कि उच्चतम न्यायालय ‘तारीख पे तारीख’ वाली अदालत बने। पीठ ने कहा कि जहां न्यायाधीश मामले की फाइल को ध्यान से पढ़कर अगले दिन की सुनवाई की तैयारी करते हुए आधी रात तक तैयारी करते रहते हैं, वकील आते हैं और स्थगन की मांग करते हैं। इसी दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि मुझे मामलों की फाइल पढ़ने के लिए सुबह साढ़े तीन बजे उठना पड़ता है।