सीट आवंटन की यह है प्रक्रिया
विधानसभा में नेता सदन व नेता प्रतिपक्ष की सीट आमने-सामने होती है। पार्टियों के विधायक दल के नेताओं को भी आगे की सीट दी जाती है। पहले विधायकों के सीट आवंटन की कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं थी। इस बार ई-विधानसभा की व्यवस्था लागू की गई है। इसके तहत अध्यक्ष ने हर विधायक की सीट पर टैबलेट लगवाए हैं जिस पर सदन का पूरा साहित्य मौजूद रहता है। विधायक के अपने सीट से लॉगिन करने पर ही हाजिरी लगती है। टैबलेट पर उनकी तस्वीर सहित पूरा विवरण भी डिस्प्ले होता है। 403 सदस्यीय सदन में अभी 379 सीटें थीं जिसे बढ़ाकर 417 किया गया। पार्टियों को उनके संख्या बल के आधार पर सदन में ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। उसमें किस कुर्सी पर कौन बैठेगा इसकी सूची पार्टियों के विधानमंडल दल के नेता से अध्यक्ष ने मांगी थी। इसके आधार पर ही सीट आवंटित की गई थी।
अखिलेश की ‘नरमी’ के क्या हैं संकेत
2017 में शिवपाल यादव से उपजे मतभेदों व अलग राह के बाद भी सार्वजनिक मंचों से अखिलेश ने शिवपाल के लिए कभी लहजा तल्ख नहीं किया। हालांकि आमने-सामने मुलाकातों में दोनों नेताओं की बॉडी लैंग्वेज असहज ही रही। इस समय शिवपाल सार्वजनिक मंचों से अखिलेश पर उपेक्षा व धोखेबाजी का आरोप लगाकर कोर वोटरों में सहानुभूति बटोरने में जुटे हैं। अखिलेश रणनीति को समझ रहे हैं। इसलिए उन्होंने शिवपाल को आगे की पंक्ति में सीट देने की पैरवी कर फिर यह संदेश देने की कोशिश है कि उन्होंने हमेशा चाचा का सम्मान बनाए रखा है। शिवपाल साफ तौर पर कह चुके हैं कि अब वह सपा से नाता नहीं रखेंगे। लेकिन, तकनीकी तौर पर सपा विधायक होने के नाते बैठना उन्हें पार्टी के ही खेमे में होता है। अक्सर सत्ता पक्ष शिवपाल के बहाने सपा की खिंचाई करता रहता है। सूत्रों का कहना है कि सीट बदलने की कवायद के पीछे यह भी सोच है कि शिवपाल को आगे की तरफ दूसरे दलों के नेताओं के पास सीट आवंटित हो जाती है तो उनका अलग पाला साफ दिखाई देगा। इससे उनके पाले को लेकर कोई असमंजस भी नहीं रहेगा।
शिवपाल की ‘चाहत’ में कांटे क्या हैं?
शिवपाल की ‘चाहत’ पूरी करने के लिए लिखी गई अखिलेश की चिट्ठी के बाद भी इस राह में मुश्किलों के कांटे हैं। विधानसभा सचिवालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कौन विधायक किस सीट पर बैठेगा यह फैसला संबंधित पार्टी के विधानमंडल दल के नेता को ही करना होता है। सपा को जो ब्लॉक आवंटित किया गया है उसमें आगे की चार सीटे हैं। एक सीट पर नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव बैठते हैं। बाकी तीन सीटें आजम खां, अवधेश प्रसाद व लालजी वर्मा को आवंटित हैं। तीनों ही पार्टी के वरिष्ठ विधायक हैं। यहां तक की विधानसभा अध्यक्ष रह चुके माता प्रसाद पांडेय को आगे की पंक्ति में सीट नहीं मिल पाई है। 9वीं बार विधायक ओमप्रकाश सिंह, सातवीं बार विधायक ओमप्रकाश सिंह भी पीछे बैठते हैं। सूत्रों की मानें तो सपा ने अध्यक्ष से पार्टी के लिए आगे की पंक्ति में तीन और सीट आवंटित करने का अनुरोध किया है। अगर यह मांग मान ली जाती है तब तो शिवपाल के लिए रास्ता खुलेगा वरना अपने कोटे की आगे की चार सीटों में ही कोई एक सीट सपा को शिवपाल को देनी होगी। शिवपाल के एक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते आगे की सीट की दलील इसलिए भी बेदम है क्योंकि प्रसपा की सदन में कोई मान्यता नहीं है और शिवपाल तकनीकी तौर पर सपा के विधायक हैं।
किसको अगली पंक्ति में कितनी सीट
भाजपा : 18
सपा : 04
बसपा : 01
कांग्रेस : 01
रालोद : 01
अपना दल (एस) : 01
निषाद पार्टी : 01
सुभासपा : 01
जनसत्ता दल : 01
कुल सीटें : 29