थर्मोकॉल से क्या है नुकसान
थर्मोकॉल एक सिंथेटिक पॉलीमर है। इसका अक्सर सुरक्षित पैकेजिंग, थर्मल इंसुलेशन और चीजों को सजाने में उपयोग किया जाता है। लेकिन यह बायोलॉजिकल डिग्रेडेबल नहीं होता है, इसलिए यह पर्यावरण के अनुकूल नहीं होता है। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शिल्पकार सनातन डिंडा ने इस कदम का स्वागत किया लेकिन कहा कि कलाकारों को इस बदलाव के लिए वक्त दिया जाना चाहिए था।
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ज्यादातर लोग करते हैं थर्मोकॉल आधारित सजावट
उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग थर्मोकॉल आधारित सजावट करते हैं। उन्हें पहले ट्रेनिंग दिया जाना चाहिए था और फिर यह पाबंदी लगायी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि मैं पहले थर्मोकॉल का उपयोग करता था लेकिन मैंने इसे काफी पहले छोड़ दिया । इस साल की पूजा में मैं अपने काम के लिए लोहे, कागज ,अलग तरह के चूना, फाइबर ग्लास का उपयोग कर रहा हूं।
‘थर्मोकॉल का मैन्युफैक्चरिंग न हो’
कलाकार प्रदीप दास ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार को अवश्य यह सुनिश्चित करना चाहिए कि थर्मोकॉल का मैन्युफैक्चरिंग न हो। यह यह बाजार में उपलब्ध ही नहीं होगा तो लोग उसका उपयोग कर ही नहीं पाएंगे। हर साल अधिकांश पूजा आयोजक किसी विषय खासकर सामाजिक मुद्दे का चयन करते हैं और अपने पंडालों, मूर्तियों और प्रकाश व्यवस्था के जरिये इसे (विषय को) चित्रित करते हैं। पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष कल्याण रूद्र ने कहा कि सभी को भारत सरकार के नियमों का पालन करना ही होगा।
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पाबंदी से कई लोग होंगे प्रभावित
थर्मोकॉल के जरिए मूर्तियों के आभूषण तैयार करने और अन्य उपयोगी चीजें बनाने वाले कलाकार रंजीत सरकार ने कहा कि हमें अब थर्मोकॉल के अलावा अन्य सामग्रियों के बारे में सोचना होगा। सरकार को बहुत पहले इसके बारे में सोचना चाहिए था। इस पाबंदी से कई लोग प्रभावित होंगे और अन्य सामग्री की ओर बढ़ने में वक्त लगेगा।