नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि भारत में चीता बसाने संबंधी योजना के तहत पांच वर्षों के पहले चरण के लिए परियोजना की अनुमानित लागत 91.65 करोड़ रुपये है। लोकसभा में सुरेश कश्यप, थिरूनवुक्करासर, माला राय, रमापति राम त्रिपाठी, बी मणिकम टैगोर, संगम लाल गुप्ता, प्रो. सौगत राय, पी पी चौधरी, रवनीत सिंह, अनुराग शर्मा और प्रताप चंद्र सारंगी के प्रश्न के लिखित उत्तर में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने यह जानकारी दी। सदस्यों ने दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में स्थानांतरित किए गए चीतों के बारे में जानकारी मांगी थी। उन्होंने चीतों को मंगाने पर कुल लागत की जानकारी भी मांगी थी।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री चौबे द्वारा निचले सदन में पेश चीतों की मृत्यु के ब्यौरे के अनुसार, साश नामक चीते की मौत 27 मार्च 2023 को पहले से ही गुर्दा खराब होने के कारण हुई जबकि उदय नामक चीते की मौत 23 अप्रैल को हृदय एवं फेफड़े संबंधी समस्या के कारण तथा दक्ष की मौत नौ मई को जख्म के कारण हुई।
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री चौबे द्वारा निचले सदन में पेश चीतों की मृत्यु के ब्यौरे के अनुसार, साश नामक चीते की मौत 27 मार्च 2023 को पहले से ही गुर्दा खराब होने के कारण हुई जबकि उदय नामक चीते की मौत 23 अप्रैल को हृदय एवं फेफड़े संबंधी समस्या के कारण तथा दक्ष की मौत नौ मई को जख्म के कारण हुई।
मंत्री के जवाब के अनुसार, इसी प्रकार से तेजस की मृत्यु 11 जुलाई को हुई और प्रारंभिक शव परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार मौत का कारण जख्म होना है। सूरज नामक चीते की मौत 14 जुलाई को हुई और प्रारंभिक शव परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु जख्म लगने से हुई। केंद्रीय मंत्री द्वारा निचले सदन में दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में जन्मे लगभग दो महीने की उम्र के तीन चीता शावकों की मृत्यु 23 मई 2023 को अधिक गर्मी के कारण हो गई।
चौबे ने बताया भारत में चीता बसाने संबंधी कार्य योजना के तहत पहले चरण (पांच वर्षों) के लिए परियोजना की अनुमानित लागत 91.65 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि भारत में चीता बसाने के लिए प्राकृतिक संरक्षण पर अंतरराष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन) के दिशानिर्देशों के अनुसार एक विस्तृत वैज्ञानिक कार्य योजना तैयार की गई है।