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कांग्रेस छोड़ने वाले वाघेला गुजरात चुनाव से पहले कर सकते हैं घर वापसी, चर्चा तेज


नई दिल्ली : गुजरात की मौजूदा राजनीति में बापू के नाम से लोकप्रिय प्रदेश के दिग्गज नेता शंकरसिंह वाघेला के कांग्रेस में एक बार फिर आने की चर्चाएं तेज हो चली हैं। खासकर, हाल ही में उनके बेटे महेंद्र सिंह वाघेला के कांग्रेस में शामिल होने के बाद चर्चा काफी बढ़ गई है। भले ही पिछले दिनों वाघेला ने अपनी नई पार्टी प्रजाशक्ति डेमोक्रेटिक पार्टी लॉन्च की हो, लेकिन यह फिलहाल राजनीतिक तौर पर कोई सक्रियता नहीं दिखा रही। इसके पीछे उनके कांग्रेस से जुड़ने की इच्छा बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि एक ओर जहां खुद शंकर सिंह कांग्रेस में शामिल होने के इच्छुक हैं, वहीं कांग्रेस भी चाह रही है कि यह कद्दावर नेता उनके साथ आ जाएं। इसे लेकर दोनों ही तरफ से कोशिश हो रही है।

कहा जा रहा है कि लगभग दो हफ्ते पहले वाघेला ने कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी को लेटर लिखकर कांग्रेस में शामिल होने का संकेत किया था। कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि लेटर में उन्होंने बिना शर्त पार्टी में आने व कांग्रेस के हाथ मजबूत करने की बात लिखी थी। हाल ही में गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रघु शर्मा ने वाघेला से मुलाकात भी की थी। सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में वाघेला कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिल सकते हैं, जिसके बाद उनकी आमद की तस्वीर साफ हो सकती है। बताया जाता है कि वाघेला ने शर्मा से हुई मुलाकात में इच्छा जाहिर की कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के सीनियर नेताओं से मुलाकात व मौजूदगी में उनकी आमद हो।

चुनाव से ऐन पहले छोड़ी थी पार्टी

पिछले विधानसभा चुनाव से ऐन पहले वाघेला ने कांग्रेस छोड़ी थी। बताया जाता है कि उनके जाने के पीछे कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी अशोक गहलोत भी कारण थे। वह वाघेला को जाने से रोक नहीं पाए। हालांकि इस बार उनके कांग्रेस में आने की कोशिशों की शुरुआत गहलोत की ओर से ही की गई। गहलोत इस बार गुजरात के पर्यवेक्षक हैं। वाघेला ने भले ही अपनी पार्टी लॉन्च की, लेकिन उसके बाद उनके शांत होकर बैठने की बात सामने आ रही है।

कांग्रेस को चाहिए बड़ा चेहरा
कांग्रेस को लग रहा है कि अगर वाघेला पार्टी में आते हैं तो उसके वोट बैंक पर लगभग डेढ़ से दो फीसदी का फर्क पड़ेगा। उनके आने से दरबार व क्षत्रिय तबके के लोग कांग्रेस के साथ आ सकते हैं। वहीं अहमदाबाद व गांधी नगर सहित नॉर्थ गुजरात में वाघेला की खासी पकड़ है, जिसका फायदा कांग्रेस को हो सकता है। गुजरात में कांग्रेस के साथ दिक्कत है कि उसके पास कोई बड़ा चेहरा नहीं बचा। अहमद पटेल के जाने बाद कोई ऐसा नेता नहीं है, जिसकी समूचे गुजरात पर पकड़ हो, जो नब्ज जानता हो। कांग्रेस के पास भरत सिंह सोलंकी के तौर पर एक बड़ा चेहरा तो हैं, लेकिन पिछले दिनों एक निजी विवाद के चलते उनकी इमेज पर दाग लगा है।



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By admin