इसलिए महत्वपूर्ण है ऑस्ट्रा हिंद एक्सरसाइज
भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व डोगरा रेजीमेंट के जवान कर रहे हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि इस अभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंध बनाना, एक-दूसरे की उत्कृष्ट प्रक्रियाओं को अपनाना और अर्ध-रेगिस्तानी इलाके के कई क्षेत्रों में अभियान चलाते वक्त एक साथ काम करने की क्षमता बढ़ाना है। मंत्रालय ने कहा कि यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच आपसी समझ को बढ़ावा देने के अलावा भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों को मजबूत करने में मदद करेगा। वहीं, ऑस्ट्रेलियाई सेना की 13वीं ब्रिगेड के दूसरे डिविजन के सैनिक इस अभ्यास सत्र में भाग ले रहे हैं। साइनपर्स, निगरानी एवं संचार के औजार समेत नई पीढ़ी के औजारों और स्पेशलिस्ट हथियारों को चलाने के अभ्यास किए जाएंगे ताकि युद्धभूमि में हुए नुकसान के प्रबंधन, आपदा की स्थिति को संभालने और बटालियन या कंपनी के स्तर पर साजो-सामान की योजनागत पहुंच के साथ-साथ उच्च स्तर की परिस्थितिजन्य सतर्कता सुनिश्चित की जा सके।
मालाबार युद्धाभ्यास में दिखा था भारत का दम
भारत ने नवंबर में मालाबार युद्धाभ्यास के वक्त कई भूमिकाओं में काम आने वाले गुप्त युद्धपोत आईएनएस शिवालिक (Multi-role stealth frigate INS Shivalik), पनडुब्बी विरोधी जंगी जहाज आईएनएस कामोर्ता (Anti-submarine corvette INS Kamorta) और समुद्री में लंबी दूरी तक पेट्रोलिंग करने में सक्षम विमान पी-8आई को तैनात किया था। ऑस्ट्रेलियाई नौसेना भी उस मालाबार नौसैनिक युद्धाभ्यास का हिस्सा बनी थी। बीते छह महीनों में ऑपरेशनल डिप्लॉयमेंट्स के कारण भारत की शाख दुनियाभर में बढ़ी है। अब सभी प्रमुख महासागरों में भारत ने कदम रख दिए हैं।
छह महाद्वीपों में भारत की पहुंच
यूरेशियन टाइम्स ने एडमिरल हरि कुमार के हवाले से कहा कि भारत की विश्वसनीयता क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया में बढ़ रही है। उन्होंने नेवल कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत ने 15 अगस्त को पहली बार छह महादेशों में अपने नौसैनिक पोतों की तैनाती करके अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘इसे भारत की तरफ से दिया गया एक संकेत माना जा रहा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और खासकर हिंद महासागरीय क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियों को चुनौती मिलेगी। इस मकसद में भारत अकेला नहीं है। उसे ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका का पूर्ण समर्थन हासिल है। ये सभी देश चाहते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था कायम रहे।’ भारत उत्तराखंड के औली में अमेरिका के साथ बटालियन स्तर का युद्धाभ्यास भी करने वाला है। औली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से महज 100 किमी दूर है। इसमें भारतीय सैनिकों को ऊंचाई पर युद्धाभ्यास करने का बड़ा मौका मिलेगा। दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संघ (ASEAN) के तीन सदस्य देशों के साथ भी भारत के संयुक्त युद्धाभ्यास होने वाले हैं।
भारत-ऑस्ट्रेलिया की दोस्ती, चीन के लिए चुनौती
ऑस्ट्रेलिया अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार चीन के साथ गुत्थमगुत्था है और सुलह की कोई गुंजाइश नहीं देखी जा रहा है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया लगातार भारत के साथ अपने सैन्य संबंधों को मजबूती देने में जुट गया है। ऑस्ट्रेलिया ने सितंबर महीने में ‘पिच ब्लैक’ (Pitch Black) एक्सरसाइज की थी जिसमें उसने अपना हवाई युद्ध क्षमता का बड़े पैमाने पर बखूबी प्रदर्शन किया था। उस युद्धाभ्यास में भारत समेत 17 देशों के करीब 100 विमान और 2,500 सैनिक शामिल हुए थे। भारतीय वायुसेना ने एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें ऑस्ट्रेलिया का एक विमान उड़ान भरते हुए हवा में ही दो भारतीय विमानों में ईंधन भर रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा एवं सुरक्षा संबंधों में पिछले कुछ सालों में काफी गर्माहट आई है। दोनों देश 2020 में अपने रिश्तों को व्यापर रणनीतिक साझेदार के रूप में नए स्तर पर ले गए। इतना ही नहीं, भारत-ऑस्ट्रेलिया ने साजो-सामान के लिए एक-दूसरे के सैन्य अड्डों के इस्तेमाल को लेकर ऐतिहासिक समझौता भी किया।
अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट द फर्स्ट पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई अखबार द सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड की खबर का जिक्र है। ऑस्ट्रेलियाई अखबार ने लिखा है कि जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई तब दोनों ने सिर्फ शिष्टाचार निभाने के लिए हाथ मिलाए, उसमें कहीं दोस्ती का भाव नहीं था। अखबार ने बताया कि अल्बानीज और जिनपिंग के बीच बातचीत भी बड़े सधे शब्दों में हुई थी। वहीं, जब उनकी मुलाकात भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई तब दोनों के बॉडी लैंग्वेज देखते ही बन रहे थे।