पीठ ने कहा, यह क्या है? आप याचिकाकर्ताओं के लिये हैं? आप यहां क्यों आए हैं? उच्चतम न्यायालय में आने का एक चक्र पूरा करने के लिए?’ न्यायालय ने कहा, ‘हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय का नजरिया सही है। यदि किसी प्राधिकारी ने अनुचित बयान दिया है, तो यह टिप्पणी कि सर्वोच्च न्यायालय उससे निपटने के लिए पर्याप्त है, सही दृष्टिकोण है।
द बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने दाखिल की थी याचिका
द बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए) ने उच्च न्यायालय के नौ फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। उसकी याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट क्षेत्राधिकार की विनती करने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है। बीएलए ने दावा किया था कि रीजीजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणी और आचरण से संविधान के प्रति भरोसे की कमी दर्शाईृयी थी। उसने धनखड़ को उपराष्ट्रपति और रीजीजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के आदेश की मांग की थी।
रिजीजू और धनखड़ ने क्या कहा था?
केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली अस्पष्ट और पारदर्शी नहीं है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था। धनखड़ ने कहा था कि फैसले ने एक बुरी मिसाल कायम की है और अगर कोई प्राधिकरण संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि “हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं”।