लोकसभा में 16 जून 2013 को सुषमा स्वराज ने ऐतिहासिक भाषण दिया था। उन्होंने कहा था, ‘उत्तराखंड में विकास के नाम पर जो होड़ लगी है, प्रकृति से छेड़-छाड़ करने की, पर्यावरण को प्रदुषित करने की, नादियो पर बांध बनाने की… ये उसका नतीजा है। हम किसके लिए विकास कर रहे हैं? हम अरबो-खरबों रुपये खर्च करके विकास करते जाते हैं। प्रकृति एक दिन क्रोधित होती है और ऐसी विनाश लीला करती है कि सब कुछ तबाह कर जाती है। कब आंखें खुलेगी हमारी? क्या इस त्रासदी के बाद भी नहीं? क्या इस आपदा के बाद भी नहीं?’ गंगा हमारे लिए साधारण नदी नहीं है, गंगा हमारे लिए मां है। अमूल्य जिंदगियां जा रही हैं। पूरा उत्तराखंड आज संकट पर खड़ा है।’
सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे बीजेपी से सवाल
सुषमा स्वराज के इस भाषण को शेयर करके लोग बीजेपी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। रत्न सेन सिंह नाम के यूजर ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘जोशीमठ और उत्तराखंड के विषय में तत्कालीन नेता विपक्ष सुषमा स्वराज जी का वीडियो वायरल है। कांग्रेस की सरकार में सवाल उठाने वाली सुषमा जी दुर्भाग्यवश अपनी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार के मुखिया मोदी को यही बात नहीं समझा पायीं।’सविता सिकरवार ने लिखा, ‘जोशीमठ कोई ठोस जमीन पर तो बना नही था, उस पर टनल बनाकर पहाड़ो को डायनामाइट से उड़ा दिया। पानी की निकास की व्यवस्था ठीक नहीं है। सुषमा स्वराज ने ये मुद्दा उठाया था पर बहरी सरकार ने नहीं सुना। दरअसल 4 साल पहले गलती से पानी का स्रोत हिस्सा फूट गया था, जिसकी वजह से बाढ़ आ गई थी।’
संकट के दौर से गुजर रहा जोशीमठ
बता दें कि उत्तराखंड का जोशीमठ इलाका इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है। जोशीमठ में कई घरों और जमीनों में गहरी दरारें आ गई हैं। हालात से निपटने के लिए इलाके में SDRF की टीमों को तैनात किया गया है। सैकड़ों घरों को खाली कराया गया है। कई घरों के बाहर खतरे का निशान लगाया गया है और लोगों से घर खाली करने के लिए कहा गया है। ऐसे में जोशीमठ के लोग बेहद भयाभह दौर से गुजर रहे हैं। वो अपनी आंखों से अपने आशियाने को टूटते देख रहे हैं।
जोशीमठ संकट को लेकर कई लोगों ने NTPC की टनल को वजह बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि टनल बनने के बाद पहाड़ धंसने शुरू हो गए हैं। हालांकि जमीन धंसने की घटनाएं सामने आने के बाद जोशीमठ में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई है। एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि ग्लेशियरों के पिघलने और अनियंत्रित निर्माण की वजह से जोशीमठ में ऐसे हालात पैदा हो रहे हैं। ये इलाका समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है। पिछले साल फरवरी में भी जोशीमठ और आस-पास के इलाकों में बाढ़ की वजह से 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। तब भी इसके लिए अत्यधिक विकास को जिम्मेदार बताया गया था।