अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को संदेह है कि खेतान ने विदेशों और भारत में विभिन्न कंपनियों के माध्यम से मिले कथित रूप से रिश्वत के पैसे को भारत में स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एजेंसी ने तीन जुलाई, 2008 को हुए सौदे में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में ब्रिटेन स्थित हथियार सौदागर विपिन खन्ना और दो कंपनियों- ब्राजील स्थित एंब्रेयर और सिंगापुर स्थित इंटरदेव पीटीई लिमिटेड को नामजद किया था।
आरोप है कि रिश्वत एंब्रेयर की सहायक कंपनियों से खन्ना को इंटरदेव के माध्यम से भेजी गई थी ताकि रक्षा मंत्रालय और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके। एजेंसी ने सितंबर, 2016 में तब एक प्रारंभिक जांच दर्ज की थी जब ब्राजील के एक अखबार ने आरोप लगाया था कि एंब्रेयर ने सऊदी अरब और भारत में सौदे करने के लिए बिचौलियों की सेवाओं का इस्तेमाल किया था।
भारत के रक्षा खरीद नियमों के अनुसार, इस तरह के सौदों में बिचौलियों पर सख्ती से रोक है। सीबीआई की प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि खन्ना की कथित मध्यस्थता के कारण डीआरडीओ के अधिकारियों ने एकल विक्रेता के आधार पर एंब्रेयर से विमान की खरीद के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद अक्टूबर, 2016 में जांच को प्राथमिकी में बदल दिया गया।
प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा था, “यह भी आरोप है कि ब्राजील स्थित फर्म और डीआरडीओ (भारत) के बीच समझौते/सौदे को आसान बनाने के एवज में, फर्म ने सिंगापुर स्थित कंपनी के माध्यम से उक्त बिचौलिए (खन्ना) को वर्ष 2009 के दौरान लगभग 57.6 लाख डॉलर की राशि का भुगतान किया था।”