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नई दिल्ली: मक्खी की तरह दिखने के कारण मधुमक्खी को भी लोग हल्के में ले लेते हैं। अंग्रेजी में इसे Honey Bee कहते हैं और इससे हमें शहद जरूर मिलता है लेकिन इसकी मिठास में लोग जानलेवा पहलू को नजरअंदाज कर देते हैं। आप यह जानकर शायद हैरान रह जाएं कि मधुमक्खी के काटने से जान भी जा सकती है। जी हां, ताजा मामला अयोध्या के रूदौली कस्बे के पास का है। यहां रेलवे क्रॉसिंग के पास मधुमक्खियों के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई। मधुमक्खियों ने वहां मौजूद लोगों को इतनी बुरी तरह काटा है कि 3 लोगों को अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ा। डॉक्टरों ने बताया कि कई मधुमक्खियों के डंक लगने से वजीरगंज के रहने वाले अनीस (60 ) की मौके पर ही मौत हो गई। ऐसे में सवाल उठता है कि मधुमक्खी में ऐसा क्या होता है कि वह जान भी ले सकती हैं। मीठा शहद देने वाली मधुमक्खी में जहर कहां से आता है?

शहद के तो फायदे ही फायदे लेकिन…
मधुमक्खियों से हमें मीठा शहद मिलता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है। यूं समझिए इसके सेवन से फायदे ही फायदे हैं। इम्युनिटी पावर मजबूत होने के साथ-साथ कई बीमारियों से भी बचाव होता है। लेकिन मधुमक्खी और उसका ठिकाना यानी छत्ता खतरनाक होता है। कभी-कभी बच्चे छत्ता तोड़ने के चक्कर में अपना चेहरा सुजा लेते हैं। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण है कि मधुमक्खी का डंक इतना खतरनाक क्यों होता है और मधुमक्खियों का झुंड पीछे पड़ गया हो तो जान कैसे बचानी है?

honey bee

मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर नहीं मारना चाहिए।

किलर डंक में क्या होता है?
दरअसल लाल चींटियों, मधुमक्खियों, बिच्छू और बर्रे के डंक में फॉर्मिक एसिड होता है। जैसे ही मधुमक्खी काटती है यानी डंक मारती है तो थोड़ा सा एसिड शरीर में पहुंच जाता है। स्किन पर सूजन आ जाती है और दर्द होने लगता है। कुछ लोगों को मधुमक्खी के काटने से बुखार भी हो जाता है। लोगों में असर अलग-अलग हो सकता है। डंक का असर 1-2 घंटे या 1-2 दिन तक रहता है।

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1000 से ज्यादा डंक तो क्या होगा?
2018 में कानपुर में बच्चे का मुंडन कराने गए लोगों पर मधुमक्खियों ने हमला कर दिया था। इसमें भी एक शख्स की जान चली गई थी। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। मधुमक्खी के काटने से मौत की घटनाओं को लोग गलत या अफवाह समझते हैं। अगर आप भी इस भ्रम में हैं तो जान लीजिए कि मधुमक्खियां झुंड में हमला करती हैं और 1000 से ज्यादा डंक शरीर पर लगते हैं तो मौत हो सकती है।

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बच्चे और बुजुर्गों को खतरा
डॉक्टर बताते हैं कि मधुमक्खी के डंक से जहरीला तत्व शरीर में पहुंचता है। एक दो डंक लगता है तो कुछ समय बाद ठीक हो जाता है। लेकिन सैकड़ों डंक लगने की स्थिति में रोग प्रतिरोधक क्षमता और व्यक्ति की उम्र काफी मायने रखती है। बच्चे और बुजुर्गों को मधुमक्खियों के हमले में जोखिम ज्यादा रहता है।

1. शरीर में डंक लगने से ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और उसके बाद हार्ट अटैक आ सकता है।
2. व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता दुरुस्त है तो वह जल्दी स्वस्थ हो सकता है।

यह भी जान लीजिए कि मधुमक्खी आत्मरक्षा में डंक मारती हैं। स्किन पर ज्यादा डंक नहीं लगे हैं तो घबराने की बात नहीं है।

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डंक लगने के बाद क्या करें?

  • जल्दी से जल्दी डंक निकाल दें। इससे शरीर में जहर कम फैलेगा।
  • उस जगह को एंटीसेप्टिक साबुन से धो दीजिए। इसके बाद एंटीसेप्टिक क्रीम लगा लीजिए।
  • कुछ लोग शहद, बर्फ, टूथपेस्ट लगाने की भी सलाह देते हैं। इससे दर्द से राहत मिलती है।
  • सबसे बड़ी बात डंक ज्यादा लगे हैं तो फौरन डॉक्टर के पास पहुंचें।
  • मधुमक्खियों का झुंड पीछे पड़ा है तो घर में घुसकर दरवाजा बंद कर लीजिए।

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डंक मारने के बाद मर जाती है मधुमक्खी?
Quora पर मधुमक्खी के हमले पर काफी चर्चा हुई है। कई लोग बताते हैं कि मधुमक्खी डंक मारने के बाद ज्यादा समय जी नहीं पाती है। इसकी वजह बताते हुए गिरीश चंद्र तिवारी लिखते हैं, ‘मधुमक्खी का डंक आरी की तरह होने के कारण शरीर में आसानी से घुस जाता है, लेकिन निकल नहीं पाता। उसे निकालने की कोशिश में मधुमक्खी के शरीर का पिछला हिस्सा भी टूट जाता है और वह डंक के साथ शरीर में ही रह जाता है। शरीर के टूटने से मधुमक्खी का जीवित बचना संभव नहीं होता और वह मर जाती है। इसीलिए मधुमक्खी के डंक से पीड़ित व्यक्ति के उपचार में स्किन में फंसे डंक को बाहर निकालना पड़ता है।’ वह समझाते हैं कि मधुमक्खी से उलट बर्रे का डंक सीधा होने के कारण खींचने पर आसानी से बाहर आ जाता है। इसीलिए वह डंक मारने के बाद मरती नहीं है।



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