बद्रीनाथ धाम से 3 किलोमीटर दूर भारत-चीन सीमा पर माणा गांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केदारनाथ, बदरीनाथ एवं हेमकुंड साहिब को भी सुविधाओं से जोडा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अयोध्या में इतना भव्य राममंदिर बन रहा है और देवी विंध्याचंल के कॉरिडोर तक भारत अपने सांस्कृतिक उत्थान का आहवान कर रहा है। आस्था के इन केंद्रों तक पहुंचना अब हर श्रद्धालु के लिए आसान और सुगम हो रहा है ।’ उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी देश को गुलामी की मानसिकता ने जकडे रखा था और पिछली सरकारों ने अपनी संस्कृति को लेकर हीन भावना होने के चलते अपने आस्था स्थलों का विकास नहीं किया।
गुलाम मानसिकता ने आस्था के स्थलों को जर्जर स्थिति में ला दिया
उन्होंने कहा, ‘गुलामी की मानसिकता ने हमारे आस्था के स्थलों को जर्जर स्थिति में ला दिया। सैकडों वर्षों से मौसम की मार सहते आ रहे पत्थर तथा वहां जाने के रास्ते तक तबाह हो गए । लेकिन उन सरकारों को अपने नागरिकों को इन स्थलों तक जाने की सुविधाएं देना तक जरूरी नहीं लगा ।’ इससे पहले, प्रधानमंत्री ने 12.40 किलोमीटर लंबे गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रज्जूमार्ग (रोपवे), 9.7 किमी लंबे गौरीकुंड-केदारनाथ रज्जूमार्ग सहित कुल 3400 करोड रुपये की सडक और रज्जूमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
‘घोर उपेक्षा के बाद भी डटे रहे’
मोदी ने कहा कि घोर उपेक्षा के बावजूद ‘न तो हमारे आध्यात्मिक केंद्रों का महत्व कम हुआ और न ही उनके प्रति हमारे समर्पण में कमी आयी।’ उन्होंने कहा कि बडे-बुजुर्गों के अलावा नौजवान पीढी के लिए भी इन्हें श्रद्धा का केंद्र बनाने का प्रयास होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरा देश अपने आध्यात्मिक केंद्रों के विकास को लेकर गर्व से भर गया है और उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद चारधाम में अब तक 45 लाख श्रद्धालु आए हैं। उन्होंने कहा कि आस्था और आध्यात्म स्थलों के पुनर्निर्माण से रोजगार और लोगों के जीवन के सुविधा संपन्न होने का पक्ष भी जुडा है। उन्होंने कहा, ‘ जब पहाड पर रेल, रोड और रोपवे पहुंचते हैं तो अपने साथ रोजगार भी लाते हैं और जीवन को जानदार, शानदार और आसान बना देते हैं ।’ उन्होंने कहा कि सरकार अब ड्रोन के माध्यम से पहाडों पर सामान पहुंचाने पर काम कर रही है।
पीएम मोदी ने 130 करोड़ देशवासियों से क्या अपील की?
उन्होंने कहा कि ड्रोन पहाडों में पैदा होने वाली ताजा सब्जी जल्द बडे शहरों में पहुंचा देगी जिससे स्थानीय लोगों की कमाई भी बढेगी। पहाड़ में काम करने वाले स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित नमक, मसाले तथा अन्य वस्तुओं की गुणवत्ता और पैकेजिंग की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने यहां आने वाले हर तीर्थयात्री से यहां का सामान खरीद कर साथ ले जाने का आग्रह किया। मोदी ने कहा कि वह चीन सीमा के समीप बसे माणा गांव से देश के 130 करोड़ देशवासियों से प्रार्थना करते हैं कि अपनी यात्रा पर होने वाले खर्च में से कम से कम 5 प्रतिशत धन वह स्थानीय उत्पादों को खरीदने में करें। इस अभियान को ‘वोकल फॉर लोकल’ की तरह चलाने का आग्रह करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ अगर कोई उत्पाद आपके घर में है तो भी दूसरा लेकर जाइए । किसी को भेंट दे दीजिए, लेकिन लेकर जरूर जाइए ।’ उन्होंने कहा कि इससे आपको संतोष और आनंद मिलेगा और क्षेत्र के लोगों को रोजी-रोटी मिल जाएगी ।
पीएम मोदी ने बताया किस तरह आगे बढ़ रहा माणा गांव
उन्होंने कहा कि माणा की एक स्थानीय महिला ने उन्हें बताया कि इस बार यात्रा के अच्छा होने से उनका ढाई लाख रूपये का सामान बिक गया। प्रधानमंत्री ने पहाड़ के लोगों के मेहनती होने को उनकी ताकत बताया लेकिन कहा कि पिछली सरकारों ने उनकी इस ताकत को उनके खिलाफ ही इस्तेमाल किया और उन्हें कोई सुविधा नहीं दी। मोदी ने कहा कि लेकिन उन्होंने पहाड़ की चुनौतियों का हल निकालने का प्रयास किया और हर गांव तक बिजली, पानी सहित हर मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई। प्रदेश के कोने-कोने में डिजिटल कनेक्टिविटी पहुंचाई। उन्होंने कहा कि वह संसद के अपने कुछ मित्रों को बताना चाहते हैं कि माणा गांव में भी आठवीं कक्षा तक पढी महिलाएं भी डिजिटल पेमेंट ले रही हैं। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार प्रदेश में युवाओं को कौशल विकास के लिए आर्थिक मदद दे रही है तथा जल्द ही उनके लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में एनसीसी का कार्यक्रम तैयार किया जा रहा है।
‘पहाड़ों में रेल, सडक और हवाई यातायात पर काम कर रही सरकार’
पीएम मोदी ने कहा कि पहाडों की संपर्क की समस्या को दूर करने के लिए भी उनकी डबल इंजन की सरकार उत्तराखंड को मल्टीमोडल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए हर साधन-रेल, सडक और हवाई यातायात पर काम किया जा रहा है। इस संबंध में हिमाचल वंदे भारत रेलगाडी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल का सपना जल्द साकार होगा। उन्होंने कहा कि संपर्क अच्छा होने से दूरी कम होने के साथ ही उद्योगों को भी बढावा मिलेगा । इस संबंध में उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से सीमा सडक संगठन ने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में 7000 किलोमीटर नई सडकों तथा सैकडों पुलों का निर्माण किया है। उन्होंने कहा कि पहाडी राज्यों की कनेक्टिविटी को बढाने के लिए अब सागरमाला और भारतमाला की तर्ज पर पर्वतमाला का काम आगे बढाया जाएगा । इसके तहत उत्तराखंड और हिमाचल में रज्जूमार्गों का एक बडा नेटवर्क बनना शुरू हो चुका है। सीमावर्ती गांवों के विकास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनमें चहल—पहल बढनी चाहिए और ऐसे गांव बनने चाहिए जिससे उन्हें छोडकर जा चुके लोगों का मन भी वहां लौटने को करे।
(इनपुट-भाषा)