आजादी के पहले नैनी में हुआ था सेवा दल का सम्मेलन
हिमंता बिस्व सरमा ने ट्वीट करते हुए जवाहर लाल नेहरू की एक तस्वीर शेयर की है। इसमें सवाल पूछा गया है कि क्या आप उनकी भी हाफ पैंट को जलाएंगे? नेहरू की यह तस्वीर आजादी से पहले की बताई जा रही है। 1939 में अब के प्रयागराज और तब के इलाहाबाद में कांग्रेस सेवा दल का एक सम्मेलन हुआ था। नैनी में हुए इस सम्मेलन में नेहरू भी शामिल हुए थे। आरएसएस की स्थापना से एक साल पहले कांग्रेस सेवा दल बनाया गया था। इसके पहले अध्यक्ष पंडित नेहरू थे। उस दौर मे खाकी रंग के कपड़ों का ही प्रचलन ज्यादा था। सेवादल के कार्यकर्ता श्रमदान करते वक्त हाफ पैंट ही पहनते थे। कई बार नेहरू की इस तस्वीर को आरएसएस की शाखा का बताकर भी सवाल उठाए जा चुके हैं। जब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चार साल पहले नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय गए थे,
उस वक्त भी यह तस्वीर वायरल हुई थी।
तस्वीर में नेहरू ने सफेद रंग की टोपी पहनी है
इस तस्वीर में नेहरू ने सफेद रंग की टोपी लगाई हुई है। इंटरनेट पर कांग्रेस सेवा दल और नेहरू की इस ड्रेस में कई तस्वीर उपलब्ध है। आरएसएस के स्वयंसेवक काली टोपी पहनते हैं और नेहरू के शाखा में जाने वाला दावा इस लिहाज से भी गलत साबित हुआ। वायरल तस्वीर में मराठी में लिखा गया था- पं जवाहरलाल नेहरू आणि इतर नैते। इसका मतलब है जवाहर लाल नेहरू दूसरे नेताओं के साथ। साथ ही दूसरी लाइन में लिखा गया- 1939 साली उत्तर प्रदेशयातील नैनी येथील। इसका अर्थ है कि साल 1939 में उत्तर प्रदेश के नैनी में हुआ कार्यक्रम।
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यूं तैयार हुआ आरएसएस का ड्रेस कोड
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नामचीन कार्यकर्ता एचवी शेषाद्री ने संघ के संस्थापक केशवराम बलिराम पंत हेडगेवार की जीवनी लिखी है। शेषाद्री के अनुसार जनवरी 1920 में एलवी पराजंपे ने भारत स्वयंसेवक मंडल की स्थापना की थी। इसमें हेडगेवार उनके प्रमुख सहयोगी थे। जुलाई में प्रयास किया गया कि स्वंयसेवक मंडल के 1000-1500 स्वयंसेवियों को तैयार किया जाए। इन्हें नागुपर में होने वाली कांग्रेस की सालाना बैठक में योगदान देने के लिए तैयार करना था। हेडगेवार चाहते थे कि कांग्रेस के अधिवेशन में मंडल के सदस्य दूर से ही पहचान में आएं। इसके साथ ही ड्रेस में अनुसाशन की झलक भी नजर आए। ऐसे में उन्होंने मंडल सदस्यों के लिए खाकी शर्ट, खाकी निकर, खाकी टोपी, लंबे मोजे और जूतों का ड्रेस कोड तैयार किया था।
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1930 में खाकी टोपी से काली टोपी में बदला ड्रेस कोड
हाफ निकर के पीछे वास्तविक मंशा क्या थी इसके बारे में कोई पुख्ता सूचना नहीं है। कहा जाता है कि निकर का चुनाव शारीरिक कसरत को ध्यान में रखते हुए किया गया हो। वैसे वजह चाहे जो भी रही लेकिन यह बात सच है कि संघ की स्थापना से 5 साल पहले ही हेडगेवार तय कर चुके थे कि ड्रेस कोड क्या होगा। उस समय यूनिफॉर्म में खाकी टोपी भी थी लेकिन पांच साल बाद ही 1930 में खाकी टोपी के बदले काली टोपी कर दिया गया। 1939 में संघ ने अपनी शर्ट का रंग खाकी से बदलकर सफेद कर दिया था। इसके पीछे ब्रिटिश सेना की तरफ से संघ की ड्रेस और उनकी ड्रिल पर लगाया गया बैन था। संघ के जूते से लेकर बेल्ट तक में भी बदलाव किया गया। धीरे-धीरे संघ से खाकी रंग काफी हद तक गायब हो गया। बताया जाता है कि संघ में यह बदलाव समय की मांग और परिस्थितियों के अनुसार किए गए थे।
भारत जोड़ो यात्रा में खाकी निकर पर छिड़ा सियासी विवाद
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 12 सितंबर को एक पोस्ट किया। इसमें आरएसएस की हाफ पैंट में नीचे से आग लगी हुई तस्वीर शेयर की है। कांग्रेस की इस पोस्ट में लिखा गया है, ‘देश को नफरत के माहौल से मुक्त करने और आरएसएस-बीजेपी के किए गए नुकसान की भरपाई को पूरा करने के लक्ष्य की दिशा में हम एक-एक कदम बढ़ा रहे हैं।’ तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा गया है- 145 days more to go यानी भारत जोड़ो यात्रा के 145 दिन बचे हुए हैं। इस तस्वीर में आरएसएस की ड्रेस में नीचे आग लगी दिखाई दे रही है और धुआं उठ रहा है। इस पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तीखा हमला बोला। संबित पात्रा ने कहा, ‘यह भारत जोड़ो यात्रा नहीं बल्कि भारत तोड़ो और आग लगाओ यात्रा है। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस पार्टी ने ऐसा किया हो। मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या आप देश में हिंसा चाहते हो? कांग्रेस को यह तस्वीर तुरंत हटा लेनी चाहिए।’