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कुत्ते भौंकते हैं, मकड़ी जाला तोड़ती है… सूर्य ग्रहण में आखिर कन्फ्यूज क्यों हो जाते हैं जानवर


नई दिल्ली: आज 4 घंटे के लिए सूर्य ग्रहण (Surya Grahan Effects) लगा है। पहले से ही जानकारों ने बता दिया था कि यह पूरे भारत में देखा जा सकेगा। लोग इस दौरान कई तरह के नियमों का पालन करते हैं। खान-पान और विशेष रूप से गर्भवती माताओं के लिए नियम बताए जाते हैं। इंसानों के बारे में तो सभी जानते हैं पर ग्रहण के समय जानवरों का क्या हाल होता है? वे इस दौरान कैसा बर्ताव करते हैं? आज ‘जंगल न्यूज’ (Jungle News) में इसी के बारे में बात करेंगे। दरअसल, ज्यादातर जानवरों के लिए दिन की शुरुआत से लेकर देर रात तक सभी काम रोशनी और अंधेरे से तय होते हैं। दिन की लंबाई से ही जानवर तय करते हैं कि उन्हें भोजन के लिए कब तक घूमना है, कब सोना है और कब दूसरी जगह चल देना है। इतना ही नहीं, जानवरों के सेक्स का समय भी दिन-रात के चक्र से ही निर्धारित होता है। सूरज की चाल और चांद के आकार से भी जानवरों का रवैया बदलता है।

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सेक्स टाइम भी…
28 दिनों में चांद के घटने-बढ़ने की रफ्तार को जानवर भी समझते हैं और वे इसके हिसाब से ही प्रजनन का टाइम चुनते हैं। कई जीव पूर्णिमा के दिन अंडे या बच्चों को जन्म देते हैं। लेकिन जब सूरज या चांद पर ग्रहण पड़ता है तो जानवरों का जीवन कैसे चलता है? कम लोगों को ही जानवरों की मनोदशा के बारे में पता होगा।

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सूर्य ग्रहण में क्या होता है?
सूर्य ग्रहण की बात करें तो ब्रह्मांड की घटनाओं में इसका सबसे ज्यादा असर जानवरों पर होता है। दिन में सक्रिय रहने वाले जानवर हैरान रह जाते हैं, वे अपने रात के ठिकाने की ओर जाने लगते हैं। वहीं, रात में सक्रिय रहने वाले जानवरों को लगता है कि वे शायद ज्यादा सो गए। वास्तव में जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है यानी चांद के पीछे सूर्य कुछ समय के लिए छिप जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है। चांद के आगे आने से सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पहुंच नहीं पाती है और कुछ देर के लिए जानवरों समेत सभी को अंधेरा दिखाई देने लगता है।

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मकड़ी की कुछ प्रजातियां सूर्य ग्रहण लगने पर अपने जाले को तोड़ना शुरू कर देती हैं जबकि आम दिनों में वे दिन ढलने के समय ऐसा करती हैं। हालांकि जैसे ही ग्रहण की काली छाया हटती है वे फिर से इसे बनाने में लग जाती हैं। कुछ इसी तरह से मछलियों और चिड़ियों के लिए हैरान करने वाली स्थिति बन जाती है। दिन के समय ऐक्टिव रहने वाली मछलियां और चिड़िया ग्रहण के समय रात में आराम करने वाले अपने ठिकानों की तरफ बढ़ जाती हैं। इसी तरह रात में सक्रिय रहने वाले जीव अचानक से बाहर निकल आते हैं, वे अचानक अंधेरा छाने से कन्फ्यूज से हो जाते हैं।

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जानवरों के रवैये की बात करें तो समुद्री व्हेल या बड़ी मछलियां किनारे पर आ जाती हैं। चमगादड़ बाहर आ जाते हैं। पूरा जीवन चक्र कुछ समय के लिए गड़बड़ा जाता है। शोर मचाने वाले जानवर खामोश हो जाते हैं और आराम करने वाले चीखने लगते हैं।

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दरियाई घोड़े पर नजर रखी गई तो पाया गया कि ग्रहण के समय वे नदियों से दूर जाने लगे, जहां उन्हें रात में ठहरना होता है। हालांकि कुछ दूरी जाने पर जब ग्रहण का समय निकल गया और उजाला हो गया तो वे काफी परेशान और थके नजर आए। इसे समझना हो तो ग्रहण के समय कुत्तों का बर्ताव देखिए। कुछ कुत्ते भौंकने लगते हैं। कुछ भ्रमित और चिंतित दिखाई दे सकते हैं। जैसे अचानक गोली चलने या धमाका होने के समय जानवर घबरा जाते हैं, कुछ वैसी ही स्थिति ग्रहण के समय भी होती है।

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चंद्र ग्रहण के समय भी रात में चांद की रोशनी अचानक हट जाती है और अंधेरा छा जाता है। ऐसे में उल्लू जैसे पक्षियों और जानवरों के लिए कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हो जाती है। ऐसे समय में पालतू जानवरों की विशेष देखभाल की जा सकती है।



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By admin