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supreme court order on it act section 66a: IT एक्ट की धारा 66ए पर अब नहीं दर्ज होगा एक भी मुकदमा, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्टों को भी भेजे नोटिस – supreme court to pass comprehensive order to prohibit registering of cases under section 66a of it act


हाइलाइट्स

  • आईटी ऐक्ट के गैर-संवैधानिक ठहराए गए प्रावधान को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
  • शीर्ष अदालत ने कहा कि वो एक समग्र आदेश देगा ताकि 66A के तहत केस दर्ज न हो
  • सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में ही इसे निरस्त किया था, फिर भी मुकदमे दर्ज हो रहे थे

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून यानी आईटी एक्ट की धारा 66A को गैर-संवैधानिक घोषित किए जाने के बावजूद इसके तहत मुकदमे दर्ज किए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। साथ ही, उसने इस पर रोक लगाने के लिए राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कंप्रिहेंसिव ऑर्डर पास करेगा ताकि आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत मुकदमे दर्ज करने का चलन हमेशा के लिए खत्म हो जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ऐसे नहीं चल सकता। हम कोर्ट और पुलिस के लिए समग्र आदेश (Comprehensive Order) पारित करेंगे।’ इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान देशभर के हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भी नोटिस जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के नोटिस पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया था कि कानून-व्यवस्था का मामला राज्य का विषय है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश से जवाब दाखिल करने को कहा है।

अदालत ने आईटी एक्ट 66ए का अभी तक होने वाले इस्तेमाल पर टिप्पणी की और कहा कि हम एक समग्र आदेश पारित करेंगे। अदालत ने तमाम राज्यों और यूटी को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66ए को 2015 में ही गैर-संवैधानिक ठहरा दिया था इसके बाद भी देशभर में हजारों केस इसी धारा के तहत दर्ज किए गए हैं।

IT Act : सुप्रीम कोर्ट से नोटिस मिलने के बाद केंद्र का सभी राज्यों को खत, आईटी ऐक्ट की धारा 66-A के तहत केस दर्ज न करने को कहा
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 5 जुलाई को सुनवाई में यह जानकर हैरानी जताई थी कि छह साल पहले निरस्त किए गए कानूनी प्रावधान के तहत मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। फिर केंद्र सरकार ने 14 जुलाई को राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वो पुलिस को आईटी ऐक्ट की धारा 66ए के तहत मामला दर्ज नहीं किया करे। यह धारा ऑनलाइन टिप्पणी करने से जुड़ी है। 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन ‘अपमानजनक’ टिप्पणी करने को अपराध की श्रेणी में डालने वाली विवादित धारा 66ए को खत्म कर दिया था।



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