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owaisi attacks hindutva: Asaduddin Owaisi, President aimim & Member of Parliament Lok Sabha, said Hindutva is based on a lie that Islam & Christianity are ‘foreign’, To prop up this lie Bhagwat has to write fairytales, Indians are Indians, Their ancestors’ faith doesn’t matter, their DNA is irrelevant. Every Indian can choose or reject any faith: ‘कौन बोल रहा सच मोदी या भागवत?’, ओवैसी का हिंदुत्‍व पर हमला, इस्‍लाम को लेकर झूठ बोलता है


नई दिल्‍ली
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस चीफ मोहन भागवत के बयानों का जिक्र कर हिंदुत्‍व पर हमला किया है। उन्‍होंने इसे लेकर एक ट्वीट शेयर किया है। इसमें पीएम मोदी और मोहन भागवत के दो बयान हैं। इन दोनों में भारत में इस्‍लाम की उत्‍पत्ति पर चर्चा की गई हैं।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ ओवैसी ने दो तस्‍वीरें ट्वीट कर लिखा, ‘कौन सच बोल रहा है? नरेंद्र मोदी या डॉ मोहन भागवत? इस्लाम पहले पश्चिमी तट से भारत में आया था, तथाकथित ‘आक्रमणकारियों’ के माध्यम से नहीं। अन्य सभी धर्मों की तरह भारत में इस्लाम सदियों से लोगों से लोगों के संपर्क के माध्यम से फैला है।’

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ओवैसी ने दूसरे ट्वीट में बोला कि हिंदुत्व इस झूठ पर आधारित है कि इस्लाम और ईसाई धर्म ‘विदेशी’ हैं। इस झूठ को बढ़ावा देने के लिए भागवत को परीकथाएं लिखनी पड़ती हैं। भारतीय भारतीय हैं। उनके पूर्वजों की आस्था कोई मायने नहीं रखती। उनका डीएनए अप्रासंगिक है। प्रत्येक भारतीय किसी भी धर्म को चुन या अस्वीकार कर सकता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हाल में कहा था कि हिंदुओं और मुसलमानों के पुरखे एक ही थे और हर भारतीय ‘हिंदू’ है। पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में वह बोले थे कि ‘समझदार’ मुस्लिम नेताओं को कट्टरपंथियों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए। हिंदू शब्द मातृभूमि, पूर्वज और भारतीय संस्कृति के बराबर है। यह अन्य विचारों का अपमान नहीं है। हमें मुस्लिम वर्चस्व के बारे में नहीं, बल्कि भारतीय वर्चस्व के बारे में सोचना है।

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भागवत ने कहा था, ‘इस्लाम आक्रांताओं के साथ आया। यह इतिहास है और इसे उसी रूप में बताया जाना चाहिए। समझदार मुस्लिम नेताओं को गैरजरूरी मुद्दों का विरोध करना चाहिए और कट्टरपंथियों के खिलाफ दृढ़ता से खड़ा रहना चाहिए। जितनी जल्दी हम यह करेंगे, उससे समाज को उतना ही कम नुकसान होगा।’

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