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military exercise 2021: india military exercise news in hindi : india will beat china with ‘defense diplomacy’, exercises are being done with countries around the world : ‘रक्षा कूटनीति’ से चीन को मात देगा भारत, दुनियाभर के देशों के साथ हो रहा है युद्धाभ्यास


नई दिल्ली
भारत बदलते वैश्विक माहौल को झरोखों से झांकने के बजाय मैदान में उतरकर खुलकर खेलने की रणनीति पर तेजी से कदम बढ़ाता दिख रहा है। इसका दुनिया से राब्ते का नया नजरिया युद्धाभ्यासों के मोर्चे पर भी देखा जा सकता है। भारत अभूतपूर्व संख्या में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सैन्य अभ्यासों में हिस्सा लेने जा रहा है। इस वर्ष दुनिया के कई देशों के साथ इसके युद्धाभ्यास होने वाले हैं।

भारत के नजरिए में आमूलचूल परिवर्तन
भारत के नजरिये में आए बदलाव को समझना और परखना हो तो शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे कुछ टर्म्स पर गौर करें। रक्षा कूटनीति (Defense Diplomacy), सामरिक संकेत (Strategic Signaling), पारस्परिकता (Interoperability) जैसे टर्म्स आज अधिकारियों के जुबान पर आसानी से आ रहे हैं जो पहले कभी सुनाई नहीं पड़ते थे।

युद्धाभ्यासों से चौतरफा फायदे

भारत ने पिछले वर्ष मई महीने में पूर्वी लद्दाख में सैन्य संघर्ष छिड़ने के बाद से चीन के साथ द्विपक्षीय युद्धाभ्यास पर विराम लगा दिया हो, लेकिन राब्ते के मोर्चे पर उसका चीन के प्रति अप्रोच दूसरों देशों जैसा ही है। दरअसल, भारत की चीन से दूरी भी सांकेतिक ही है। एक सीनियर आर्मी ऑफिसर ने हमारे सहयोगी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (ToI) से कहा, ‘युद्धाभ्यासों से युद्ध कौशल बढ़ाने, वैश्विक स्तर की सर्वोत्तम प्रणालियों और परिचालन रणनीति को अपनाने के अलावा
विभिन्न देशों के साथ सैन्य और सामरिक सहयोग, विश्वास बहाली और पारस्परिक निर्भरता को बल मिलता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘रक्षा कूटनीति भारत के कूटनीतिक हितों को बढ़ावा देने का ही एक औजार है।’

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अफ्रीका महादेश में चीन को टक्कर देगा भारत

उदाहरण के तौर पर भारत ने अफ्रीका में अपनी पहुंच बढ़ानी शुरू कर दी है जहां चीन ने पहले से ही दबदबा कायम कर रखा है। उसकी काट में भारत ने अफ्रीकी देशों के साथ भी युद्धाभ्यास की रणनीति अपनाई है। स्वाभाविक है कि इसका मकसद चीन को सामरिक संकेत भी भेजना है जैसा कि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मालाबार युद्धाभ्यास के जरिए किया गया। पिछली बार अगस्त के आखिर में मलाबार युद्धाभ्यास पश्चिमी प्रशांत सागर के गुआम में किया गया। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बलप्रयोग के विरुद्ध अप्रैल महीने में बंगाल की खाड़ी में क्वाड प्लस फ्रांस (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रिलेया, भारत और फ्रांस) का संयुक्त युद्धाभ्यास हुआ।

युद्धाभ्यासों की झड़ी

भारत इस वर्ष के बाकी वक्त में भी कई संयुक्त युद्धाभ्यासों को अंजाम देने वाला है। इसी क्रम में अगले महीने बंगाल की खाड़ी में क्वाड प्लस यूके का नौसैनिक युद्धाभ्यास होना है। उसके बाद यूके के साथ सेना के तीनों अंगों (आर्मी, नेवी और एयर फोर्स) का युद्धाभ्यास होगा। 24 से 27 अक्टूबर को होने वाले इन युद्धाभ्यासों के केंद्र में 65,000 टन वजनी एयरक्राफ्ट करियर एचएमएस क्विन एलिजाबेथ और पांचवीं पीढ़ी के हल्के लड़ाकू विमान F-35B होंगे। ध्यान रहे कि भारत ने अब तक अमेरिका और रूस के साथ ही सेना के तीनों अंगों का युद्धाभ्यास किया है।

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आर्मी ने किए कई युद्धाभ्यास

इंडियन आर्मी ने हाल ही में रूस में ‘इंद्र’ जबकि कजाकिस्तान में ‘काजिंद’ युद्धाभ्यास को अंजाम दिया है। अभी भी रूस में 17 देशों का ‘झापड़ (Zapad)’ एक्सरसाइज चल रहा है जिसमें भारत ने अपने करीब 2000 सैनिक शामिल किए हैं। इनके अलावा, नवंबर महीने तक नेपाल के साथ ‘सूर्य किरण’, श्रीलंका के साथ ‘मित्र शक्ति’, यूके के साथ ‘अजेय वॉरियर’, अमेरिक के साथ ‘युद्ध अभ्यास’ और फ्रांस के साथ ‘शक्ति’ के नाम से युद्धभ्यास होने वाले हैं।

नौ सेना सबसे आगे

उधर, भारतीय नौ सेना ने भी इस वर्ष वियतनाम, इंडोनेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर और थाइलैंड से लेकर केन्या, यूएई, कतर, ब्रुनेई, बहरीन, मिस्र, यूके और जर्मनी के साथ युद्धाभ्यास किया है। भारतीय नौ सेना के जंगी जहाजों ने पहली बार सऊदी अरब, अल्जीरिया, सूडान और यूरोपियन यूनियन नेवल टास्कफोर्स के साथ युद्धाभ्यासों में भी भाग लिए हैं।

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वायु सेना भी पीछे नहीं

जहां तक बात भारतीय वायु सेना की है तो इसने भी मार्च महीने में अमेरिका, फ्रांस, यूएई, सऊदी अरब और बहरीन के साथ अलद दाफ्रा एयरबेस पर संचालित हुए युद्धाभ्यास में अपने सुखोई-30एमकेआई युद्धक विमान और सी-17 ग्लोबमास्टर-3 एयरक्राफ्ट भेजे थे। एक ऑफिसर ने कहा, ‘भारत फारस की खाड़ी के सामरिक क्षेत्र में अपनी सैन्य पहुंच बढ़ाने में जुटा है।’



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By admin