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javed akhtar compared rss and vhp to taliban says those who support them need to introspect : गीतकार जावेद अख्तर ने तालिबान से की RSS की तुलना, कहा- इन्हें समर्थन देने वालों को आत्मचिंतन की जरूरत


नई दिल्ली
मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख्तर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से करते हुए कहा है कि इसे समर्थन देने वाले लोगों को आत्मचिंतन करना चाहिए। एक इंग्लिश न्यूज चैनल के साथ बातचीत में अख्तर ने कहा कि आरएसएस, वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठनों का भी उद्देश्य वही है, जो तालिबान का है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान इनके लक्ष्य की राह में आड़े आ रहा है लेकिन अगर मौका मिला तो ये उसी बाउंड्री को भी पार कर जाएंगे।

‘मुस्लिमों की पिटाई पूरी तरह से तालिबान बनने का फुल ड्रेस रिहर्सल’
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने पर इतरा रहे भारतीय मुस्लिमों के एक तबके की आलोचना कर चुके जावेद अख्तर ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि दुनियाभर में राइट विंग एक है। भारत में भीड़ द्वारा अल्पसंख्यकों की पिटाई की कुछ घटनाओं पर अख्तर ने कहा, ‘यह पूरी तरह से तालिबान बनने का एक तरह से फुल ड्रेस रिहर्सल है। ये तालिबानी हरकतों को अपना रहे हैं। ये एक ही लोग हैं, बस नाम का फर्क है। उनके लक्ष्य और उनके बीच में भारत का संविधान आड़े आ रहा है लेकिन अगर मौका मिले तो ये इस बाउंड्री को पार कर जाएंगे।’

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‘आरएसएस और तालिबान में फर्क कहां हैं?’
जावेद अख्तर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जो लोग आरएसएस, वीएचपी, बजरंग दल जैसे संगठनों का समर्थन करते हैं, उन्हें आत्मचिंतन की जरूरत है। निश्चित तौर पर तालिबान मध्ययुगीन मानसिकता वाला है, इसमें कोई शक नहीं हैं, वे बर्बर हैं लेकिन आप जिन्हें समर्थन कर रहे हैं, वे उनसे अलग कहां हैं? उनकी जमीन लगातार मजबूत हो रही है और वे अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। इनकी मानसिकता एक ही है।’

‘भारत के सिर्फ मुट्ठी भर मुसलमान ही तालिबान के मुरीद’
अफगानिस्तान में तालिबान राज आने पर भारतीय मुसलमानों के एक तबके की तरफ से खुशी जताए जाने और इस्तकबाल करने पर जावेद अख्तर ने कहा कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम हैं। उन्होंने कहा कि ये फ्रिंज हैं, ज्यादातर भारतीय मुस्लिम तो ऐसे बयानों से शॉक्ड हैं।

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‘सिर्फ यही फर्क- वह तालिबान है और ये तालिबान बनना चाहते हैं’
जावेद अख्तर ने कहा कि हमारे देश में भी ऐसे लोग हैं जो तालिबान की दिशा में जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत में भी ऐसे लोग हैं जो तालिबान की दिशा में जा रहे हैं। इनका भी उद्देश्य वही है। महिलाएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें, एंटी-रोमियो ब्रिगेड…ये उसी दिशा में तो है। मैं तालिबान और उन लोगों में बहुत समानता देखता हूं जो तालिबान जैसा बनना चाहते हैं।’

‘उसका मकसद इस्लामी देश बनाना, इनका मकसद हिंदू राज्य’
दुनियाभर के राइट विंग में समानता बताते हुए अख्तर ने कहा, ‘दुनियाभर में राइट विंग चाहे वह मुस्लिम राइट विंग हो, क्रिश्चन राइट विंग हो या फिर हिंदू राइट विंग हो, उनमें समानता है। तालिबान क्या चाहता है, इस्लामिक देश बनाना। ये लोग हिंदू राज्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे कहते हैं कि जो परंपरा से अलग है, उसे स्वीकार नहीं कर सकते। ये लोग भी चाहते हैं कि कोई लड़का और लड़की एक साथ पार्क में न जाए। बस फर्क इतना है कि ये अभी तालिबान इतना ताकतवर नहीं हुए हैं। लेकिन इनका मकसद वही है जो तालिबान का है।’

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‘तालिबान को भारतीय मुस्लिमों के समर्थन से दक्षिणपंथियों को मिलेगी ताकत’
जावेद अख्तर ने कहा कि कुछ भारतीय मुसलमानों के तालिबान का समर्थन करने का अपने यहां के दक्षिणपंथी फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘क्या विडंबना है कि राइट विंग इन बातों का फायदा उठा रहा है और इस समर्थन से वह और ज्यादा तालिबान की तरह बनने की कोशिश करेंगे। अगर आप राइट विंग को निष्पक्षता से देखेंगे तो उनके नाम भले अलग हो, लेकिन सभी एक हैं। उन्हें तालिबान की तरह ही अल्पसंख्यकों से प्रेम नहीं हैं, वे तालिबान की तरह चाहते हैं कि महिलाएं घर पर रहें, हाशिए पर रहें। दोनों में फर्क क्या है। दोनों कहते हैं कि कोई भी कानून उनकी धार्मिक आस्था से बड़ा नहीं है, तालिबान भी यही कहता है। आप उनसे अलग कैसे हैं।’

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जावेद अख्तर



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