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ground for divorce under hindu law: divorce ground in india : ‘crash landing happened even before take off’, calling the wife’s actions cruelty, the supreme court allowed the husband to get divorced :


हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक पुरानी शादी को तोड़ने की अनुमति दे दी
  • सर्वोच्च अदालत ने पत्नी की हरकतों को पति के खिलाफ क्रूरता माना
  • पत्नी शादी के 15 दिनों बाद ही छोड़कर चली गई, तब पति ने तलाक ले लिया
  • लेकिन पति ने शादी की तो पत्नी उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करने लगी

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक पुराने उस शादी को खत्म कर दिया जिसमें शादी के बाद वैवाहिक जोड़ा एक दिन भी साथ नहीं रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि शादी की शुरुआत से ही यह संबंध खत्म सा हो गया था और टेक ऑफ के समय ही क्रैश लैंडिंग हो गई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिले विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया और विवाह खत्म करने का आदेश देते हुए तलाक की मंजूरी दे दी।

शादी के दो हफ्ते बाद ही हो गई खटपट

पेश मामले के मुताबिक, दोनों का वर्ष 2002 में विवाह हुआ था और दोनों के बीच तमाम मध्यस्थता असफल रही। एक सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रफेसर पति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पत्नी ने शादी के दो हफ्ते बाद ही उन पर मुकदमा करना शुरू किया और एक के बाद एक कई केस लाद दिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह उनके प्रति पत्नी की क्रूरता है। सर्वोच्च अदालत ने पति की यह दलील मान ली और उन्हें तलाक लेने की अनुमति दे दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने माना- पत्नी ने की क्रूरता

शीर्ष अदालत की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि निचली अदालत (Trial Court) और उच्च न्यायालय (High Court) को इसका पर्याप्त तथ्य नहीं मिला कि वो पति को अपनी पत्नी की क्रूरता के आधार पर तलाक लेने का अधिकारी मानें। दोनों अदालतों को यह भी नहीं लगा कि उन्हें पत्नी के व्यवहार का पता लगाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने केवल मुकदमे किए बल्कि पति को उनके दफ्तर में जाकर धमकाया। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हाई कोर्ट ने इन घटनाओं को इसे ‘सामान्य मतभेद’ बताकर नजअंदाज करने की गलती की।

सुप्रीम कोर्ट ने की यह टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘…प्रतिवादी की ये अनवरत गतिविधियां क्रूरता के दायरे में आती हैं। यह व्यवहार वैवाहिक एकता के विघटन का द्योतक है जो विवाह का ही विघटन है। वास्तव में, दोनों के बीच कभी एका हो नहीं पाया। लगातार आरोप लगाते रहना और कानूनी-कार्यवाही करते रहना इस कोर्ट की नजर में क्रूरता है।’ इसने आगे कहा, ‘उन्होंने (पत्नी ने) आवेदनकर्ता (पति) से इस आधार पर अनुशासनिक कार्यवाही की मांग की है कि पति ने दूसरी शादी कर ली है, बावजूद इसके कि दूसरी शादी तलाक की अनुमति मिलने के बाद की गई। यानी, महिला ने याचिकाकर्ता को नौकरी से हटवाने की भरपूर कोशिश की। कोई अगर अपने पति की नौकरी से हटवाने की कोशिश करे तो यह मानसिक क्रूरता है।’


‘टेक ऑफ से पहले हो गई क्रैश लैंडिंग’
दोनों का विवाह वर्ष 2002 में हुआ था, लेकिन जैसा कि कोर्ट ने कहा, ‘यह उड़ान भरता, इससे पहले ही क्रैश लैंडिंग हो गई’ क्योंकि महिला यह कहकर चली गई कि शादी के लिए उसकी सहमति नहीं ली गई थी। 15 दिनों बाद ही पति ने तलाक मांगा, लेकिन पत्नी इसके लिए भी तैयार नहीं हुई और उन्होंने पत्नी के रूप में अपने अधिकारों की मांग की। पांच साल बाद फैमिली कोर्ट ने तलाक दे दिया और एक सप्ताह के अंदर पति ने दूसरी शादी कर ली। मद्रास हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया, तब पति ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने पति की दलीलों को सही मानते हुए पत्नी के व्यवहार को क्रूरता माना और तलाक को वैध ठहराया।

divorce

सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी की क्रूरता के आधार पर पति को दी तलाक लेने की अनुमति।



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