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farmers agitation: Haryana affidavit in Supreme Court: The Supreme Court has said in the last hearing that farmers have the right to protest, but they cannot block roads indefinitely, The states were instructed to find a way to make the roads free: SC में हरियाणा सरकार का हलफनामा, सड़क जाम करने वाले प्रदर्शनकारी किसान बातचीत के लिए नहीं आए, समझाने का प्रयास जारी


हाइलाइट्स

  • हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा
  • राज्‍यों को कहा गया है सड़कों को फ्री करने का रास्‍ता निकालें
  • किसान अनिश्चितकाल के लिए ब्लॉक नहीं कर सकते सड़क

नई दिल्ली
किसान आंदोलन के कारण दिल्ली बॉर्डर जाम से लोगों को हो रही असुविधा को लेकर हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। इसमें कहा गया है कि राज्य स्तरीय कमिटी किसान संगठनों से लगातार इस मुद्दे पर समझाने का प्रयास कर रही है ताकि राज्य और नेशनल हाइवे से जाम हटाया जा सके और पब्लिक को असुविधा न हो। साथ ही ट्रैफिक स्मूद हो सके। किसान संगठन स्टेट लेवल कमिटी से नहीं मिल रहे हैं। फिर भी सरकार लगातार उन्हें समझाने का प्रयास कर रही है।

पिछली सुनवाई के दौरान 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन सड़कों को अनिश्चितकाल के लिए ब्लॉक नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि आपको (किसानों) प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन सड़कों को इस तरह से ब्लॉक नहीं किया जा सकता है। अदालत ने केंद्र सरकार और संबधित राज्यों से कहा था कि वे इसका हल निकालें।

हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह प्रदर्शनकारी किसानों की ओर से हाइवे जाम किए जाने के मामले में समस्या का निदान निकालें। इसको लेकर राज्य सरकार ने स्टेट लेवल कमिटी का गठन किया है जिसे प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत कर इस समस्या का हल निकालना है।

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हालांकि, बुलाने के बाद भी किसान संगठन कमिटी से नहीं मिले। फिर भी राज्य लेवल की कमिटी किसानों से बातचीत करने और समझाने का प्रयास कर रही है ताकि स्टेट और नेशनल हाइवे पर लगे जाम को हटाया जा सके।

किसानों से सहयोग की अपेक्षा
किसानों को इस मामले में सहयोग करने को कहा गया है ताकि नेशनल हाइवे और स्टेट हाइवे से जाम हटाया जा सके और आम आदमी को सुविधा मिल सके और ट्रैफिक स्मूद हो सके। लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने भी इसके लिए लगातार प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा था कि वह इस मामले में समस्या का निदान निकालें। अदालत ने कहा था कि समस्या का समाधान सरकार करे।

हलफनामे में हरियाणा राज्य ने यह भी बताया कि केंद्रीय होम सेक्रेटरी के साथ राज्यों के चीफ सेक्रेटरी की मीटिंग हुई थी। मीटिंग में दिल्ली, हरियाणा और यूपी राज्य के चीफ सेक्रेटरी के अलावा पुलिस अधिकारी भी थे। मीटिंग में कहा गया कि सारे प्रयास किए जाएं ताकि इंटर स्टेट नेशनल हाइवे खुल सकें और दिल्ली का बॉर्डर फ्री हो सके।

राज्‍य सरकार ने बनाई है समिति
15 सितंबर को हरियाणा सरकार ने राज्य लेवल की कमिटी बनाई थी जो किसान संगठन से बात करे और जाम के निजात के लिए प्रयास करे ताकि आम जनता को कोई परेशानी न हो। यह और बात है कि 19 सितंबर को बुलाई गई मीटिंग में किसान संगठनों ने भाग नहीं लिया। फिर भी लगातार किसानों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जाम खत्म हो।

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पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पब्लिक रोड ब्लॉक नहीं होनी चाहिए। नोएडा बेस्ड एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि नोएडा से दिल्ली जाने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लगते हैं जो बुरे सपने की तरह है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली से सटे राज्यों को जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दरान कहा था कि पब्लिक स्ट्रीट ब्लॉक नहीं होनी चाहिए।

अदालत ने कहा कि यह बात हम पहले भी कई बार कह चुके हैं। अदालत ने कहा कि हमें नहीं पता कि आप (प्रतिवादी सरकारें) कैसे इस समस्या का निदान करेंगे चाहे राजनीतिक तौर पर या फिर प्रशासनिक तौर पर या फिर न्यायिक तौर पर। लेकिन सड़क ब्लॉक नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इस मामले की सुनवाई टाल दी गई।

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