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captain amarinder singh resignation: Amarinder Singh Quits: The party high command had handed over the command of the state Congress to Sidhu in July, This decision was taken ignoring the displeasure of Captain Amarinder Singh, There has been a constant rift between the two: कैप्टन पर कैसे भारी पड़ा पूर्व ओपनर? सिद्धू के पीसीसी चीफ बनने के 2 महीने के भीतर अमरिंदर की गई कुर्सी…


नई दिल्‍ली
सियासी पिच पर नवजोत सिंह सिद्धू की बैटिंग कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पर भारी पड़ी है। पार्टी आलाकमान ने क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू को जुलाई में पंजाब कांग्रेस प्रमुख बनाया था। दो महीने के भीतर उन्‍होंने कद्दावर कैप्‍टन की छुट्टी कर दी। शनिवार को कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया। इस इस्‍तीफे की मुख्‍य वजह दोनों के बीच जबर्दस्‍त अनबन रही है। दोनों नेता किसी भी हाल में एक-दूसरे के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं थे। काफी समय से इन दोनों ने एक-दूसरे पर तलवारें खींच रखी थीं। फिलहाल, इस मुकाबले में पूर्व ओपनर की जीत और कैप्‍टन की हार होते दिखाई देती है।

पार्टी नेतृत्व ने अमरिंदर सिंह के विरोध को नजरअंदाज करते हुए सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रमुख बनाया था। लेकिन, प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी खत्म नहीं हुई। दोनों नेताओं की लड़ाई खुलकर दिख रही थी। इससे साफ था कि दोनों एक-दूसरे को सख्‍त नापसंद करते हैं। सिद्धू के पीसीसी चीफ बनने के बाद कुछ समय के लिए ऐसा लगा था कि पार्टी ने सुलह का रास्‍ता निकाल लिया है। हालांकि, दोनों एक-दूसरे की टांग खींचने में लगे रहे।

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अमरिंदर के दबाव के कारण सिद्धू के एक सलाहकार मलविंदर सिंह माली को इस्‍तीफा देना पड़ा था। उसके बाद दोनों में तल्‍खी और बढ़ गई थी। सिद्धू ने एक सभा में यहां तक कह डाला था कि उन्‍हें निर्णय लेने की आजादी नहीं मिली तो वह ‘ईंट से ईंट’ बजा देंगे।

क्‍या कैप्‍टन पर नहीं रह गया था भरोसा?
इस्‍तीफा देने के बाद मीडिया से मुखातिब कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कुछ ऐसी बातें कीं जो यह बताने के लिए काफी हैं कि सिर के ऊपर पानी चला गया था। उन पर से पार्टी आलाकमान का भरोसा उठ गया था। उन्‍होंनें कहा, ‘मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें (कांग्रेस अध्यक्ष) जिस पर विश्वास है उसे मुख्यमंत्री बनाएं।’

सिंह ने यह भी कहा, ‘पिछले कुछ महीनों मे तीसरी बार ये हो रहा है कि विधायकों को दिल्ली में बुलाया गया। मैं समझता हूं कि अगर मेरे ऊपर कोई संदेह है, मैं सरकार चला नहीं सका, जिस तरीके से बात हुई है, मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं।’ अमरिंदर सिंह ने शनिवार को चंडीगढ़ के राजभवन में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इस्तीफा सौंपा।

क्‍या कांग्रेस से भी जल्‍दी होने वाली है विदाई?
कैप्‍टन ने साफ संकेत दे दिए हैं कि भले उन्‍होंने सीएम पद से इस्‍तीफा दे दिया है, लेकिन पॉलिटिक्‍स से उनकी विदाई नहीं हुई है। यानी अभी वह पॉलिटिक्‍स के गेम में बने रहेंगे। उन्‍होंने कहा, ‘मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। फ्यूचर पॉलिटिक्स हमेशा एक विकल्प होती है और जब मुझे मौका मिलेगा मैं उसका इस्तेमाल करूंगा।’

सीएम पद से उनकी विदाई के बाद लाजिमी है कि उनके पार्टी छोड़ने को लेकर भी अटकलें लगने लगी हैं। पंजाब में जिस तरह का कैप्‍टन का कद है और हाल में जैसे उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी, उससे उनके भाजपा में शामिल होने की सुगबुगाहट है। उन्‍होंने बातचीत में कहा कि वह कांग्रेस पार्टी में हैं। वह अपने साथियों से बात करेंगे। उसके बाद आगे की राजनीति के बारे में फैसला करेंगे। वहीं, उनके खुद की पार्टी बनाने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।

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सिद्धू की बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत
कैप्‍टन का इस्‍तीफा निश्चित तौर पर सिद्धू की बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत है। यह संकेत देता है कि कांग्रेस आलाकमान को सिद्धू पर किस हद तक भरोसा है। हाल में जब कैप्‍टन की नाराजगी को नजरअंदाज कर सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई तब भी उसने यही संदेश दिया था कि अब उसके लिए अमरिंदर से ज्‍यादा सिद्धू महत्‍वपूर्ण हो गए हैं।

सिद्धू ने सेट की फील्डिंग
सिद्धू ने कैप्‍टन के खिलाफ किस तरह की फील्डिंग सेट की इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब में कांग्रेस के 50 से अधिक विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए। पार्टी के सूत्रों ने यह जानकारी दी थी। विधायकों ने अपने पत्र में सोनिया गांधी से विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की थी। इस पर पार्टी आलाकमान ने शनिवार शाम बैठक बुलाने का निर्देश दिया था और वरिष्ठ नेताओं अजय माकन और हरीश चौधरी को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया था।

क्‍यों अहम है फैसला?
अमरिंदर का यह फैसला कई मायनों में महत्‍वपूर्ण है। अगले साल पंजाब में चुनाव होने हैं। कांग्रेस ने पहले कहा था कि वह कैप्‍टन के नेतृत्‍व में चुनाव लड़ेगी। यानी उसे अपनी पूरी रणनीति पर दोबारा काम करना होगा। पहले ही कहा जा रहा था कि सिद्धू और अमरिंदर की रार का कांग्रेस के वोटों पर सीधा असर पड़ेगा। वहीं, इसका फायदा आम आदमी पार्टी को सबसे ज्‍यादा हो सकता है।



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By admin