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supreme court on granting bail: severity of crime should be considered while deciding on bail says supreme court : जमानत पर फैसला देते वक्त अपराध की गंभीरता देखना जरूरी


नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत देते वक्त यह देखना जरूरी है कि अपराध की गंभीरता क्या है। सुप्रीम कोर्ट ने मर्डर के एक केस में आरोपी को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से दी गई जमानत के फैसले को खारिज कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलीय कोर्ट जमानत देते वक्त अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कैसे करें, इस बारे में आदेश पारित किया है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच के सामने याचिकाकर्ता हरजीत सिंह ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। हरजीत के पिता की हत्या की गई थी। जालंधर के सदर थाने में इसको लेकर 21 सितंबर 2020 को केस दर्ज किया गया था। इस मामले में हाई कोर्ट ने आरोपी इंदरप्रीत सिंह को जमानत दी थी। जिसके खिलाफ अपील दाखिल की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत देते वक्त विशेषाधिकार का इस्तेमाल कैसे किया जाए यह देखना होगा। ट्रायल कोर्ट अगर जमानत अर्जी खारिज कर चुका है तो अपीलीय कोर्ट की ड्यूटी है कि वह इस मामले में पहले से दिए गए फैसले पर गौर करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत से मना करने का मतलब सजा नहीं बल्कि न्याय का हित भी है।

शीर्ष अदालने कहा कि जमानत पर फैसला लेते वक्त यह देखना बेहद जरूरी है कि अपराध का नेचर कैसा है। यह महत्वपूर्ण फैक्टर है। साथ ही यह देखना भी जरूरी है कि साक्ष्य किस तरह का है। जिस आरोपी की जमानत अर्जी है उसके खिलाफ दर्ज केस में सजा कितनी है। यह भी देखना जरूरी है कि क्या गवाहों को धमकाने या साक्ष्य के प्रभावित होने का अंदेशा है? साथ ही आरोपी के पिछले क्रिमिनल रेकॉर्ड भी देखने होते हैं। जीवन के अधिकार के तहत लिबर्टी महत्वपूर्ण है लेकिन दूसरे की जिंदगी खतरे में न आए इसके लिए एंटी सोशल एक्ट को रोकने की भी जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपराध की गंभीरता और गवाहों के धमकाने के अंदेशे को महत्वपूर्ण पहलू माना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर हाई कोर्ट के आदेश में हम दखल नहीं देते लेकिन अगर विवेक का इस्तेमाल न किया जाए तो उस आदेश को खारिज किया जाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को उस खारिज कर दिया जिसमें उसने मर्डर आरोपी को जमानत दी थी।



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By admin