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pakistani terrorists in syria: atleast 20 pakistani citizens including some islamic state terrorists are detained in syria,सीरिया में 20 से ज्यादा पाकिस्तानी नागरिक कुर्दीश कैंपोंं में हिरासत में


हाइलाइट्स

  • सीरिया में इस्लामिक स्टेट में शामिल पाक के आतंकी भी हैं बंधक
  • रेड क्रॉस ने किया है पाकिस्तान सरकार से संपर्क
  • अपने नागरिकों को वापस नहीं लेना चाहती इमरान सरकार

नई दिल्ली
पाकिस्तान के कई नागरिक नॉर्थ सीरिया में कुर्दिश कैंपों में बंधक हैं। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक रेडक्रॉस ने इस संबंध में पाकिस्तान सरकार से संपर्क भी किया है। इंटेलिजेंस एजेंसी को मिली जानकारी के मुताबिक करीब 20 पाकिस्तानी नागरिक कुर्दिश कैंप में हैं।

इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों ने पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की एक आंतरिक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि करीब 20 पाकिस्तानी नागरिकों को जून 2020 से नॉर्थ सीरिया में कुर्दिश कंट्रोल वाले एक कैंप में डिटेन किया हुआ है। इसमें कुछ सिविलियंस हैं और कुछ फाइटर। पाकिस्तान की रिपोर्ट में फाइटर शब्द उनके लिए इस्तेमाल किया गया है जो नॉर्थ सीरिया में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लिए लड़ रहे थे और लड़ाई के दौरान कुर्दिश ने उन्हें बंधक बनाया।

रिपोर्ट के मुताबिक इंटरनैशनल कमिटी ऑफ रेडक्रॉस ने डिटेन किए गए इन पाकिस्तानी नागरिकों में से 4 को वापस पाकिस्तान भेजने के लिए पाकिस्तानी अथॉरिटी से संपर्क किया है। लेकिन इंटरनैशनल कमिटी ऑफ रेडक्रॉस और पाकिस्तान सरकार की बातचीत आगे नहीं बढ़ पा रही है। यह बातचीत प्रक्रिया की औपचारिकता को लेकर फंसी है। रेड क्रॉस चाहता है कि पाकिस्तान सरकार यह स्वीकार करे कि उनके नागरिक कुर्दिश कैंप में बंधक हैं और बाकी बंधकों को भी पाकिस्तान ले जाने के लिए प्रक्रिया शुरू करे।

इंटेलिजेंस एजेंसी का मानना है कि पाकिस्तान आईएसआई के दबाव में उन लोगों को वापस नहीं लेना चाहता और न ही इसे स्वीकार करना चाहता है। रेडक्रॉस को सरकार से यह गारंटी भी चाहिए कि बंधक पाकिस्तान जाने के बाद सुरक्षित रहेंगे और उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा, लेकिन पाकिस्तान यह गारंटी देने को तैयार नहीं है। इंटेलिजेंस एजेंसी के एक अनुमान के मुताबिक 10 से 15 हजार पाकिस्तानी नागरिक सीरिया में अलग अलग आतंकी ग्रुप में उनके साथ हैं और लड़ रहे हैं।

कई पाकिस्तानी नागरिक अफगानिस्तन में भी अफगान डिफेंस फोर्सेस के खिलाफ लड़ रहे हैं। अफगान स्पेशल फोर्स की रेड में अफगानिस्तान में कई पाकिस्तानी मारे भी गए हैं। पिछले साल काबुल यूनिवर्सिटी में 2 नंबवर को जो हमला हुआ उसमें 32 लोग मारे गए थे, इस हमले को आईएसकेपी ने अंजाम दिया था जो आईएसआई और हकानी नेटवर्क का ही एक चेहरा है। इंटेलिजेंस एजेंसी का मानना है कि ये जिस तरह से सॉफेस्टिकेटेड हथियारों का इस्तेमाल करते है इससे साफ है कि इन्हें स्टेट सपोर्ट मिल रहा है।



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